झांसी। पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। जीवन के जिस पड़ाव में अपने साथ छोड़ने लगते हैं, उस पड़ाव में झांसी के बुजुर्ग महिलाओं ने शिक्षा को सहारा बनाया। रविवार को हाथ में कलम और लाठी थामकर नव भारत साक्षरता परीक्षा देने पहुंचीं बुजुर्ग दादी और काकी ने शिक्षा की अलख जगाई। साक्षर बनने की उनकी ललक ने नई पीढ़ी को संदेश दिया कि शिक्षा के बिना सब कुछ अधूरा है। पड़रा की 80 साल की हरकुंवर बाई, रोहिताना की 70 साल की जमुना और धमना खुर्द की 60 साल की ईश्वरी देवी ने परीक्षा में पूरी तैयारी के साथ सवालाें को हल किया। परीक्षा देने के बाद सभी खुश नजर आईं।
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अब हस्ताक्षर करतीं हैं हरकुंवर बाईपड़रा की हरकुंवर बाई ने 80 साल की उम्र में पढ़ाई शुरू की। वे बताती हैं कि कभी स्कूल नहीं गए। कम उम्र में ही शादी हो गई तो चौका-चूल्हा में पड़ गए। मगर शुरू से पढ़ना चाहती थी। घर में बेटों के बच्चों के साथ थोड़ा-थोड़ा सीखा। नवभारत साक्षर अभियान से जुड़ी तो हस्ताक्षर करना सीखा। अब कहीं भी कागज पर अंगूठा नहीं लगाती। शब्द मिलाकर पढ़ती हूं। परीक्षा काफी आसान सवाल आए थे।
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जमुना अब करती हैं जोड़-घटाना
गांव रोहिताना की 70 साल की जमुना बाई ने भी नवभारत साक्षर अभियान में पढ़ाई की। रविवार को वे भी गांव के स्कूल में परीक्षा देने पहुंचीं। जमुना बताती हैं कि ककहरा जानते थे, लेकिन गणित नहीं आता था। पैसे तक नहीं गिन पाते थे। अब जाेड़-घटाना भी कर लेते हैं। पेपर में गणित के सवाल काफी अच्छे लगे। धमना खुर्द की 60 साल की ईश्वरी देवी ने भी नव साक्षर परीक्षा दी।
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860 महिलाओं ने दी परीक्षा
नव भारत साक्षरता परीक्षा में जिले में 2340 लोगों ने हिस्सा लिया। घूंघट की आड़ में 860 महिलाएं परीक्षा देने पहुंची। वहीं 1460 पुरुषों ने भी परीक्षा में प्रतिभाग किया। 50 अंक की इस परीक्षा के प्रश्न पत्र के तीन भाग रहे। पहले भाग में पढ़ना, दूसरे भाग में लिखना और तीसरे भाग में गणित के प्रश्न पूछे गए। बीएसए नीलम यादव ने बताया कि परीक्षा में 2340 लोग उपस्थित रहे।
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घूंघट की ओट में हल किए सवाल
नव साक्षर परीक्षा देने वालों में महिलाओं की खासी संख्या थी। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं अपने घर के बुजुर्गाें के साथ परीक्षाएं देने आईं। महिलाओं ने घूंघट की ओट में सवाल हल किए।