वाराणसी। विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालयों में शोध फेलोशिप पाने वाले विद्यार्थियों का अब हर महीने शैक्षिक मूल्यांकन होगा। इन्हें विभागीय कायों में सहयोग भी करना होगा। उनके द्वारा किए गए कार्यों की रिपोर्ट विश्वविद्यालय की ओर से यूजीसी को भेजी जाएगी।
यूजीसी के इस निर्देश पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने अमल शुरू कर दिया है। वाराणसी समेत पांच जिलों के प्राचायों से इस बारे में
रिपोर्ट मांगी गई है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर के साथ ही इससे संबद्ध वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही जिले के कॉलेजों में शोध करने वाले विद्यार्थियों को जेआरएफ, एसआरएफ सहित कई तरह की फेलोशिप दी जाती है। सामान्य विद्यार्थियों की तरह अब शोध छात्रों को उपस्थिति की भी निगरानी की
व्यवस्था बनाई गई है।
काशी विद्यापीठ के यूजीसी यूनिट के समन्वयक प्रो. संतोष कुमार ने पांच जिलों में चलने वाले कॉलेजों के प्राचार्यों, विभागाध्यक्ष से शोध फेलोशिप पाने वाले सभी विद्यार्थियों
की उपस्थिति के साथ ही एकेडमिक गतिविधियों में सहयोग लेने की बात कही है। साथ ही हर महीने शोध छात्रों की उपस्थिति और शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी भी देनी होगी
हर सप्ताह दस घंटे करना होगा सहयोग
यूजीसी यूनिट के समन्वयक प्रो. संतोष कुमार का कहना है कि यूजीसी के नए निर्देश के बावत शोध फेलोशिप पाने वाले शोध छात्रों को विभाग में दस घंटे शैक्षणिक सहयोग देना जरूरी है। यानी विभागाध्यक्ष संबंधित शोध छात्र की विभाग में क्लास, लैब सहित अन्य शैक्षणिक कायों में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करेंगे। इससे शोध छात्रों का विभाग और संबंधित विषय से गुड़ाव भी बना रहेगा।