प्रयागराज। मेजा में नौकरी के नाम पर पश्चिमी उप्र, दिल्ली व हरियाणा के युवकों से 1.17 करोड़ की ठगी करने के मामले में प्रयुक्त पांच खाते फ्रीज होंगे। पुलिस ने संबंधित बैंकों से इन खातों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। यह वह खाते हैं जिनमें भुक्तभोगियों से ली गई रकम भेजी गई। जल्द ही इन्हें फ्रीज कराने की कार्रवाई की जाएगी।
जांच में पता चला की करोड़ों की इस ठगी के खेल में कुल पांच खाते इस्तेमाल किए गए। इन्हीं खातों में रकम का आदान प्रदान हुआ। इनमें से तीन खाते वाराणसी के सुंदरपुर चौराहे के पास रहने है वाले देवेश शुक्ला, उसके पिता हैं रामचंद्र शुक्ला व उसकी बहन साक्षी शुक्ला के नाम पर हैं। गिरोह
के सरगना गाजियाबाद के मूल निवासी और मेरठ में स्पोर्ट्स एकेडमी संचालक आदिल ने पूछताछ में पुलिस को बताया है कि उसने युवकों से नौकरी के नाम पर ली गई रकम में से करीब 33 लाख रुपये देवेश, उसके पिता व उसकी बहन के खाते में जमा किराए।
ठगी में इस्तेमाल अन्य दो खातों के बारे में उसने बताया कि इनमें से एक खाता मेजा निवासी संदीप पाल के भाई अभिषेक पाल का है। एचडीएफसी बैंक मेजा रोड शाखा के इस खाते में उसने करीब 45 लाख रुपये भेजने की बात बताई है। एक अन्य खाता उत्कर्ष के नाम पर इसमें 60 हजार पुलिस को मिले । सूत्रों का कहना है कि पुलिस इन सभी खातों के बारे में जानकारी एकत्र करने में जुट गई है। व्यरो
लखनऊ का उत्कर्ष बनाता था फर्जी नियुक्ति और परिचय पत्र
जांच में अहम बात यह सामने आई है कि गिरोह के लिए फर्जी नियुक्ति व परिचय पत्र बनाने का काम लखनऊ का उत्कर्ष पाल करता था। वह इस मामले में नामजद भी है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। यहीं फर्जी नियुक्ति व परिचय पत्र भुक्तभोगियों को थमाकर उन्हें झांसे में लिया जाता था। इन पर सरकारी विभागों के लोगो भी लगाए जाते थे। बताया जा रहा कि उत्कर्ष एडिटिंग सॉफ्टवेयर का जानकार है और इसी से वह मिनटों में जाली प्रपत्र तैयार करता था।
यह है पूरा मामला
मेजा में नौकरी के नाम पर 28 युवकों से 1.17 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। ठगी का शिकार हुए युवक मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, गाजियाबाद, हरियाणा व दिल्ली के रहने वाले हैं। मामले में चार आरोपी आदिल, संदीप पाल निवासी मेजा, संदीप पाल निवासी पीपलगांव और देवेश शुक्ला गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके हैं। जबकि पांच भारोपियों की तलाश की जा रही है