प्रयागराज। हाईकोर्ट ने आपराधिक पुनरीक्षण मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति से तलाक के बाद दूसरी मामला शादी करने पर महिला संग रह रहा उसका बेटा अपने पिता से भरण- पोषण का हकदार है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि पुनर्विवाह के बाद महिला घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती। यह फैसला न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की कोर्ट ने सुनाया। याची अधिवक्ता पवन पांडेय ने पक्ष रखा। मामले में ट्रायल कोर्ट हापुड़ ने तलाक के बाद महिला और उसके नाबालिग बच्चे को भरण-पोषण देने का आदेश दिया था। इस आदेश के विरोध में याची आकाश ने आपराधिक
पुनरीक्षण दायर किया था। याची अधिवक्ता ने कहा कि पति- पत्नी के बीच तलाक हो गया है और उसने पुनर्विवाह किया है। ऐसे में भरण-पोषण का अधिकार समाप्त हो गया है। वहीं महिला पक्ष के अधिवक्ता ने आपराधिक पुनरीक्षण का विरोध किया। हाईकोर्ट ने आपराधिक पुनरीक्षण को आंशिक रूप
स्वीकार किया। महिला के साथ रह रहे अवयस्क को भरण-पोषण का हकदार माना। भरण-पोषण तब तक बंद नहीं किया जा सकता जबतक नाबालिग स्नातक या बालिग न हो जाए।