सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थनगर जिले में फर्जी तरीके से स्कूलों को मान्यता दिलाने तथा कुछ अन्य आरोपों के सिलसिले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खण्ड शिक्षा अधिकारी समेत शिक्षा विभाग के चार कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह ने बताया कि संतकबीरनगर जिले के बेलवनिया गांव के विनोद प्रताप सिंह की शिकायत की पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने जांच की थी तथा जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर सदर कोतवाली क्षेत्र में बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार पांडेय, खण्ड शिक्षा अधिकारी कुंवर विक्रम पांडेय, बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात लिपिक शिव सागर चौबे और मुकुल मिश्रा के खिलाफ रविवार शाम मुकदमा दर्ज किया गया।
उन्होंने बताया कि इन अभियुक्तों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर कर कई स्कूलों को मान्यता दी है, फर्जी उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की है, गलत तरीके से वेतन निकाला है और उर्दू शिक्षक भर्ती की पत्रावलियों को कार्यालय से गायब किया है। सिंह ने बताया कि इस सिलसिले में रविवार शाम सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि संतकबीरनगर जिले के बेलवनिया गांव के विनोद प्रताप सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की एसटीएफ द्वारा जांच में पुष्टि होने पर यह मुकदमा पंजीकृत किया गया है।
सूत्रों ने दर्ज रिपोर्ट के हवाले से बताया कि सिद्धार्थनगर जिले के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह ने 10 फरवरी 2021 और 30 नवंबर 2021 को जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर अपने फर्जी हस्ताक्षर करके कुछ विद्यालयों को मान्यता दिलाये जाने और फर्जी तरीके से उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति कर वेतन भुगतान किये जाने का आरोप लगाते हुए उसकी जांच की मांग की थी।
विनोद प्रताप सिंह के अनुसार जब उन्हें इस कथित जालसाजी की जानकारी हुई तो उन्होंने भी उच्च अधिकारियों से इस प्रकरण की जांच की मांग की। उनके मुताबिक जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो उन्होंने मौजूदा बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार पांडे की इस मामले में भूमिका को संदिग्ध मानते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की।
विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने साथ ही, देवेंद्र कुमार पांडे द्वारा पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह के पत्र पर जांच करने के बजाय संदेहास्पद भूमिका वाले दोनों लिपिकों को संरक्षण दिये जाने और जालसाजों के साथ मिलकर पत्रावलियों को गायब करने की आशंका व्यक्त करते हुए पुलिस के विशेष कार्यबल के अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश से भी इसकी शिकायत की थी। सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ ने इस मामले की जांच की और वादी विनोद प्रताप सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों को सही पाया।