झांसी। उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित कॉलेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत साल में एक ही बार विश्वविद्यालय को वार्षिक परीक्षाएं करानी चाहिए। सेमेस्टर परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए। इससे छात्र पर भी परीक्षा शुल्क का दोगुना भार पड़ता है। उन्होंने ये बात पत्रकार वार्ता में कही।
प्रदेश अध्यक्ष बोले कि नई शिक्षा नीति कॉलेज की स्वयत्ता की बात करती है। मगर शिक्षक चयन में भी विश्वविद्यालय अपने शिक्षक थोप देता है। प्रैक्टिकल परीक्षा का परीक्षक भी विश्वविद्यालय ही तय करता है। विश्वविद्यालय कॉलेज को स्वयत्ता देने के लिए तैयार नहीं है। कहा कि नीति में सतत मूल्यांकन की बात की गई है। मगर विश्वविद्यालय ने जल्दबाजी में सेमेस्टर परीक्षा लागू कर दी है। साल भर में चार महीने लिखित परीक्षा चलती है। ऐसे में पठन-पाठन के स्थान पर शिक्षण संस्थान सिर्फ परीक्षा ही कराते रहते हैं। इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवण कुमार द्विवेदी, प्रदेश सचिव अजय परिहार, प्रदेश मंत्री सूर्य कुमार त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष बृजेश भदौरिया, देवेंद्र बख्शी, गौरव तिवारी, वीरेंद्र आर्य, डॉ. प्रमोद शिवहरे मौजूद रहे।
बीयू के आदेश पर भी उठाए सवाल
प्रदेश अध्यक्ष ने बीयू के परीक्षा विभाग के एक आदेश पर भी सवाल उठाए। कहा कि बीयू ने कॉलेजों को आदेश जारी किया है कि प्रैक्टिकल परीक्षाओं में 80 फीसदी से ज्यादा अंक देने पर दोबारा परीक्षण कराया जाएगा। जबकि, बीयू कैंपस में ये व्यवस्था लागू नहीं है। प्रदेश में कहीं भी ऐसा नहीं है। साथ ही बीएड के परीक्षा शुल्क को जल्द कॉलेजों को भुगतान करने की मांग की