बैंक क्लर्क की पोस्ट का नाम अब बदल गया है। अब इन्हें कस्टमर सर्विस एसोसिएट के पद से जाना जाएगा। साथ अब इस पद के अधिकार भी बढ़ा दिए गए हैं।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) और बैंकों के संयुक्त फोरम के बीच हुए समझौते के बाद क्लर्कों की जिम्मेदारी बढ़ा दी गई है। उनके अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ पदनाम भी बदल गए हैं। शुक्रवार को बैंकिंग इंडस्ट्री में कार्यरत पांच कर्मचारी यूनियन और चार अधिकारी यूनियन के साथ मुंबई में समझौते पर दस्तखत हो गए। इस बार वेतन समझौते में बैंक कर्मचारियों के पदनाम बदल गए हैं। अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक क्लर्क, जो पहले सिंगल विंडो ऑपरेटर थे, उन्हें अब कस्टमर सर्विस एसोसिएट के पद से जाना जाएगा। हेड कैशियर को सीनियर कस्टमर सर्विस एसोसिएट, स्पेशल असिस्टेंट को स्पेशल कस्टमर सर्विस एसोसिएट और सब स्टाफ (चपरासी ) को ऑफिस असिटेंट पदनाम दिए गए हैं।
सिंगल विंडो आपरेटर (ए) क्लर्क की भुगतान क्षमता 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है। सिंगल विंडो ऑपरेटर (बी) की भुगतान क्षमता 20 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है। क्लियरिंग और ट्रांसफर की सीमा भी क्रमश: 15 हजार और 25 हजार से बढ़ा कर एक लाख रुपये कर दी गई है। हेड कैशियर की ट्रांसफर पॉवर क्लर्क के साथ दो लाख रुपये तक की गई है। इसके अलावा स्पेशल असिटेंस्ट के साथ चार लाख रुपये तक ट्रांसफर और क्लियरिंग को जोड़ा गया है।
दूर ट्रांसफर होने पर बेसिक का 150 फीसदी तक मकान भत्ता मिलेगा। ट्रांसपोर्ट एलाउंस के रूप में क्लर्क को 850 रुपये और सब स्टाफ को 800 रुपये का प्रावधान किया गया है। पूरे वर्ष में चार बार आधे दिन की छुट्टी ली जा सकेगी। इसमें दो बार दिन और दो बार शाम की छुट्टी शामिल की गई है। इसके अतिरिक्त बैंक कर्मचारियों को 300 रुपये महीने का कपड़ा धुलाई भत्ता (वाशिंग एलाउंस) और 250 रुपये महीने का साइकिल भत्ता भी मिलेगा। मेडिकल जांच के लिए 2830 रुपये मिलेंगे। बैंक पेंशनर्स को पेंशन अपडेशन के नाम पर मायूसी हाथ लगी है। 2002 से पूर्व के रिटायर्ड बैंकरों को सिर्फ एक्सग्रेशिया के रूप में कुछ मामूली राहत दी गई है।