नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिव्यांग बच्चे की देखभाल करने वाली कामकाजी मां को बाल देखभाल अवकाश देने से इन्कार करना कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के सांविधानिक कर्तव्य का उल्लंघन है। मुख्य (सीजेआई) न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि यह सिर्फ विशेषाधिकार का मामला नहीं है बल्कि सांविधानिक कर्तव्य का मामला है।
पीठ ने कहा कि महिलाओं को बाल देखभाल अवकाश (सीसीएल) का प्रावधान एक महत्वपूर्ण सांविधानिक उद्देश्य को पूरा करता है और दिव्यांग बच्चों की
माताओं को इससे वंचित करना कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के सांविधानिक कर्तव्य का उल्लंघन होगा। हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में एक कॉलेज में कार्यरत एक सहायक प्रोफेसर शालिनी धर्माणी ने हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम के तहत बाल देखभाल अवकाश की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। बच्चा जन्म से ही आनुवांशिक विकारों से पीड़ित है।