अमृत विचार। क्षेत्र पंचायत हसनगंज के एक दर्जन से अधिक परिषदीय विद्यालयों के बाउंड्री व शौचालयों के निर्माण में जबरदस्त धांधली चल रही है। न सिर्फ मौरंग की जगह डस्ट का इस्तेमाल हो रहा है बल्कि, नई की जगह पुरानी व पीली ईंटों से चुनाई की जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि बीईओ की निर्माण कराने वाले शिक्षकों से सांठगांठ है। इसीलिए घटिया निर्माण को लेकर आपत्ति जताने के बावजूद इसमें सुधार नहीं किया जा रहा है।
बता दें कि क्षेत्र के कुछ विद्यालयों की बाउंड्री निर्माण के लिए शासन ने बजट जारी किया है। वहीं कई विद्यालयों में शौचालयों निर्माण के लिए भी बजट जारी हुआ है। प्रशासनिक व विभागीय अधिकारियों की लोकसभा चुनाव में व्यस्तता होने से बीईओ ने निर्माण कराने वालों को गुणवत्ता विहीन निर्माण कराने की हरी झंडी दे रखी है। इसीलिए न सिर्फ शौचालयों के टैंक निर्माण में पुरानी व पीली ईंट का इस्तेमाल हो रहा है बल्कि, बाउंड्री वाल सहित शौचालयों की दीवारों में भी पुरानी व पीली ईंट लगाने से गुरेज नहीं किया जा रहा है। प्राथमिक विद्यालय कोरो कल्याण के भवन निर्माण में शत प्रतिशत तीसरे नंबर की पीली ईंट लगाई जा रही है। जिससे बनक
तैयार होते ही प्लास्टर व ईंट का स्वरूप बिगड़ना शुरू हो जाएगा। इसी तरह नगर पंचायत मोहान के परिषदीय विद्यालय में जहां घटिया बाउंड्री का निर्माण करा अधिक से अधिक रकम बचाने का प्रयास चल रहा है। वहीं हसेवा व संदान में भी बाउंड्री वाल व शौचालयों के निर्माण में निम्न स्तर का कार्य हो रहा है। ग्रामीणों के मुताविक गुणवत्तापूर्ण कार्य कराने पर निर्माण कराने वाले शिक्षक ध्यान नहीं दे रहे हैं। वह बजट के मुताबिक निर्माण कराने का दावा करते हैं जबकि ग्रामीणों के फोन करने पर बीईओ बात करने की
जहमत नहीं उठाते। कुछ ग्रामीणों ने बीईओ से उनके कार्यालय जाकर शिकायत की लेकिन उन्होंने निर्माण स्तर बेहतर कराना मुनासिब नहीं
विद्यालय निर्माण मद में 11 लाख 25 हजार रुपए का बजट उपयोग कर लिया गया है, लेकिन मौके पर अभी अंतिम चरण का कार्य कराया जाना है। ग्रामीणों के मुताबिक वितीय वर्ष 2022-23 में इस विद्यालय भवन निर्माण को बजट स्वीकृत हुआ था। विद्यालय के खाते से जारी धनराशि निकाले जाने के बाद भी अब तक यहां निर्माण कराने वालों ने दरवाजे, खिड़की, सीढ़ियां, स्लोप आदि निर्माण के अलावा वायरिंग का कार्य भी नहीं कराया है।
समझा। ग्रामीणों के मुताबिक पुरानी ईंट का इस्तेमाल करने के बाद तुरंत प्लास्टर कर दिया जाता है। पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। घटिया निर्माण से क्षुब्ध ग्रामीण एसडीएम की चौखट तक दस्तक दे चुके हैं लेकिन, गुणवत्ता सुधार बजाए बिगड़ रही है।