ज्ञानपुर। फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने के आरोप में बर्खास्त शिक्षकों से वेतन-भत्ते की वसूली बेसिक शिक्षा विभाग के लिए मुसीबत बन गई है।
तीन साल में करीब 15 शिक्षकों की सेवा समाप्त हुई लेकिन एक से भी वसूली अब तक नहीं हो सकी। आठ शिक्षकों के वेतन और भत्ते का आकलन अब तक तैयार नहीं हो सका है। शिक्षक नोटिस का जवाब तक नहीं दे रहे हैं। मानव संपदा पोर्टल पर डाटा फीड करने के पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में शिक्षक फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी करते पाए गए। तीन साल में 15 शिक्षक फर्जी पाए गए। उनको बर्खास्त कर दिया गया।
बरखास्त शिक्षकों ने पांच से 10 साल के सेवा की। इस दौरान उनको वेतन-भत्ते के रूप में 10 करोड़ का भुगतान किया गया। बरखास्त शिक्षक प्रयागराज, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी एवं पश्चिम यूपी के हैं।
गाजीपुर जनपद निवासी आशुतोष तीन साल में 15 की सेवा हुई समाप्त, 10 करोड़ वसूली के लिए भेज रहे नोटिस त्रिपाठी ने नाम व पता का फर्जी दस्तावेज लगाया था। उसकी तैनाती वर्ष 2010 में डीघ ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय पुरवां में गुई। बाद में प्राथमिक विद्यालय बेरासपुर में तैनात हुआ। आशुतोष त्रिपाठी नामक व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेज लगाने की शिकायत की थी।
देवरिया निवासी प्रेमलता त्रिपाठी की नियुक्ति वर्ष 2010-11 में हुई थी। वह ज्ञानपुर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय कंसापुर में तैनात थीं। इनके ऊपर फर्जी अभिलेख के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप था।
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि कुछ शिक्षकों को वेतन-भत्ते की वसूली के लिए नोटिस भेजा गया। नाम-पता सही न होने पर दिक्कत हो रही है। अब पुलिस के सहयोग से इनसे वसूली की जाएगी