बुधवार को जस्टिस अनिरुद्ध बोस और सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट को बताया गया कि यहां मुख्य मुद्दा यह है कि सुप्रीम कोर्ट का 11 अगस्त, 2023 का फैसला पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा या बाद से। तभी डीएलईडी धारकों की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायण ने मांग का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आ चुका है। कोर्ट को इस तरह की अर्जियों पर सुनवाई करने की जरूरत ही नहीं है। पटना, छत्तीसगढ और उत्तराखंड हाई कोर्ट कह चुके हैं कि
सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा। बंगाल, बिहार और राजस्थान के बीएड डिग्री धारकों की ओर से पेश वकील पीएस पटवालिया ने मामले में सुनवाई की मांग की। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन की ओर से पेश वकील अपराजिता सिंह और गौरव यादव ने भी कहा कि कोर्ट उनके मामले पर भी विचार करे। पीठ ने सुनवाई सोमवार तक टालते हुए केंद्र से कहा कि वह सभी राज्यों में प्राथमिक शिक्षकों के कुल रिक्त पदों और ब्रिज कोर्स के आंकड़े पेश करे.