लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में नया सत्र 2024-25 शुरू हो चुका है। चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के साथ ही विद्यार्थियों को ड्रेस, बैग, जूते-मोजे के लिए उनके अभिभावकों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) किया जाएगा। इससे पहले ही छात्रों को सिली हुई ड्रेस व बैग आदि देने की मांग उठने लगी है, क्योंकि अभिभावक डीबीटी का सही और पूरा इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके बाद शिक्षकों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं।प्रदेश सरकार परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को जहां निशुल्क किताबें देती है। वहीं ड्रेस, बैग, जूता-मोजा, स्वेटर के लिए डीबीटी के माध्यम से नकद राशि अभिभावकों के खाते में भेजी जाती है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि बच्चों को ड्रेस के लिए राशि नहीं, उन्हें सिली यूनिफॉर्म दी जाए। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग निविदा कर जेम पोर्टल से मानक के अनुसार ड्रेस भी निशुल्क पाठ्य पुस्तकों की भांति लेकर वितरित करे
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि डीबीटी से जो पैसा अभिभावकों के खातों में भेजा जा रहा है, उसका शत- प्रतिशत इस्तेमाल अभिभावक नहीं करते हैं। इससे आधे ही बच्चे यूनिफार्म में आते हैं। बार-बार अभिभावकों को यूनिफार्म खरीदने के लिए कहा जाता है। इसे लेकर कई जगह विवाद भी हो रहा है। ब्यूरो