झांसी। प्रदेश सरकार परिषदीय स्कूलों को आधुनिक बना रही है। स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला बनाई गई हैं। मगर हालात यह हैं कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। गांवों के स्कूलों को तो छोड़ दें, बेसिक शिक्षा विभाग परिसर में चल रहे पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ही 160 छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षिका की तैनाती है। यही शिक्षिका बच्चों को पढ़ाती हैं और विद्यालय के प्रशासनिक काम देखती हैं।
बीएसए कार्यालय परिसर मेंं बने पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सुविधाएं तो बहुत हैं। विद्यार्थियों के लिए लैब में 21 कंप्यूटर लगे हैं, स्मार्ट क्लास है, विज्ञान प्रयोगशाला है, लेकिन न तो कंप्यूटर सिखाने वाले शिक्षक हैं और न ही विज्ञान के प्रयोग कराने वाले। हालात यह हैं कि कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं तो विद्यालय में शैक्षिक कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए आया टीवी भी बंद रखा है।
यहां तैनात शिक्षिका अनीता रिछारिया ने बताया कि विद्यालय में प्रधानाचार्य नहीं है। उन्हें ही इंचार्ज की जिम्मेदारी दी गई है। बीएड की दो छात्राओं की मदद पढ़ाने के लिए ले रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। साथ ही खुशीपुरा बालक प्राथमिक विद्यालय को यहां संचालित किया जाता है। इसमें कक्षा एक से पांच तक के 30 छात्र-छात्राएं हैं। प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य रजनी साहू ने बताया कि उनके विद्यालय को भी सभी अत्याधुनिक सुविधाएं दी गई हैं।
शहर के आधे स्कूलों में है शिक्षकों की कमी: बीएसए
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नीलम यादव ने बताया कि शहरी क्षेत्र के आधे स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। पहले समायोजन के तहत स्थानीय स्तर पर व्यवस्था ठीक की जाती थी, लेकिन अब समायोजन का निर्णय शासन स्तर पर होता है। स्कूलों में शिक्षकों की संख्या से शासन को अवगत कराया जा चुका है।
शिक्षा अधिकारियों का गढ़ है शिक्षा भवन
शहर में स्थित शिक्षा भवन जिले के सभी शिक्षा अधिकारियों का गढ़ है। इसी परिसर में संयुक्त शिक्षा निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय हैं। संस्कृत विद्यालय के मंडल स्तरीय अधिकारी भी यहीं बैठते हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षक रैन बसेरा यहां है, जिसमें शिक्षक विधायक और शिक्षक संगठनों के नेता अक्सर बैठकें करते हैं।