प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भरण पोषण के मामलों में पति-पत्नी की आय की गणना गणितीय रूप से नहीं की जा सकती है क्योंकि, वास्तविक आय के साक्ष्य अभिलखों में नहीं आ पाते हैं। दोनों ही पक्ष की ओर से अपनी वास्तविक आय को छिपाने की कोशिश की जाती है।
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