बलरामपुर। बजट खपाने में सभी विभागों के अधिकारी दिन भर जुटे रहे। छुट्टी के दिन रविवार को जिला, तहसील व ब्लॉक स्तरीय कार्यालय गुलजार रहे।
सरकारी दफ्तरों, बैंकों व कोषागार में देर रात तक कार्य किए गए। सरकारी पैसा खर्च करने में कंजूसी न होती तो अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं की कमी से मरीजों को परेशान नहीं होना पड़ता।
परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन नसीब होता है। वित्तीय वर्ष के अंत में बजट खपाने व सरेंडर करने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। यदि पूरा बजट खर्च किया जाता तो लोगों को दवाएं, अनुरक्षण, मानदेय, वेतन, छात्रवृत्ति, शादी, पेंशन व अन्य योजनाओं का लाभ मिलता तो खुशहाली आती।
बेसिक शिक्षा विभाग को वित्तीय वर्ष 2023-24 में मध्याह्न भोजन, वेतन, मानदेय व पेंशन पर चार अरब 48 करोड़ 55 लाख रुपये शासन से दिए गए। साल भर में विभाग पूरा बजट खर्च नहीं कर सका।
विभाग ने एक करोड़ 55 लाख रुपये सरेंडर कर दिया है। सीएमओ कार्यालय में वेतन, दवाओं व अन्य मदों में खर्च करने के लिए 42 करोड़ से अधिक का बजट दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग ने 39 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च किया, जबकि तीन करोड़ 50 लाख रुपये सरेंडर कर दिया गया है।
जिला महिला अस्पताल को दवाओं, वेतन व अन्य मदों में पांच करोड़ 60 लाख का बजट मिला। पांच करोड़ 30 लाख रुपये खर्च किए गए। बाकी 30 लाख रुपये सरेंडर कर दिया गया।
जिला मेमोरियल अस्पताल को वेतन, दवाओं व अन्य मदों में 10 करोड़ रुपये मिला। नौ करोड़ 80 लाख रुपये खर्च हुआ और 20 लाख रुपये सरेंडर हो गया।
लोक निर्माण विभाग को सड़कों के निर्माण व मरम्मत में 48 करोड़ 50 लाख रुपये मिला। 44 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि चार करोड़ रुपये सरेंडर हो गया। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का 59 लाख 87 हजार रुपये और शादी अनुदान योजना का एक करोड़ 28 लाख रुपये सरेंडर हाे गया है।
छुट्टी के दिन भी गुलजार रहे दफ्तर
डीसी मनरेगा सतीश कुमार पांडेय, जिला समाज कल्याण अधिकारी एमपी सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. श्याम नगीना राम, जिला प्रोबेशन अधिकारी सतीश चंद्र सहित विकास भवन में सभी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी और उप कृषि निदेशक कार्यालय में छुट्टी के दिन भी कार्य किया गया। तहसील व ब्लॉक स्तरीय कार्यालयों में भी बजट खपाने व सरेंडर करने की जद्दोजहद चलती रही।