नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कोई अधिकारी सिर्फ इस आधार पर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत मांगा गया ब्योरा देने से इन्कार नहीं कर सकता कि वो बहुत बड़ी जानकारी है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि यदि अदालत इस तर्क को स्वीकारेगी तो यह छूट के दायरे में आने वाला एक और आधार बन जाएगा। प्रतिवादी भारतीय विदेश व्यापार संस्थान आरटीआई ने जानकारी न देने का केवल यही कारण बताया है कि जानकारी बहुत बड़ी है।
जानकारी मांगने वाले ने उसे केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में चुनौती दी थी जिसे उसने स्वीकार कर लिया और संस्थान से आवेदक की ओर से मांगी गई जानकारी देने का निर्देश दिया था। संस्थान ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसे खारिज कर दिया गया। सीआईसी ने दो आदेश पारित किए थे। पहले आदेश में सीआईसी ने संस्थान को आवेदनकर्ता को अभिलेखों का निरीक्षण करने की अनुमति देने का आदेश दिया था। फिर संस्थान से उसके उठाए गए सभी 27 बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था।