नवीन शिक्षण सत्र आरंभ होते ही बच्चों को निश्शुल्क
पुस्तकों का वितरण कराया जा रहा हैं। खेल के संसाधन जुटाने के लिए भी विभाग से विद्यालयों को बजट का आवंटन कर दिया गया है।
जिले के सभी प्राथमिक पांच और जूनियर हाई स्कूल को दस हजार रुपये खेल का सामान खरीदने के लिए दिए गए हैं। परिषदीय स्कूलों को खेल का सामान खरीदने के लिए सरकार से धन तो हर साल दिया जाता है। कुछ विद्यालयों में तो भरपूर खेल संसाधन जुटा लिए गए हैं, लेकिन कुछ विद्यालयों में खेल का सामान खरीदने के लिए मिलने वाले बजट का बंदरबांट कर लिया जाता है। पुराने खेल संसाधनों को दिखकर नई रसीद से खानापूरी करा दी जाती है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों के
माध्यम से प्रधानाध्यापक को निर्देश दिए गए हैं कि वह प्राप्त धनराशि से बच्चों के लिए सभी खेलकूद का सामान खरीदें, स्कूलों में पहुंचने वाली टीमों द्वारा गत वर्षों में खरीदे गए सामान और वर्तमान में खरीदे गए सामान का मिलान करते हुए रिकार्ड देखा जाएगा। पिछले वर्षों में भी जांच-पड़ताल होती रही है, लेकिन किसी अधिकारी को खेल के सामान खरीदने में कोई गड़बड़ी नहीं मिलती। डीएम मनोज कुमार का कहना है कि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई के साथ खेल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। खेल का सामान खरीदने के लिए दिए गए बजट का सत्यापन कराया जाएगा।