शामली। कॉन्वेंट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा की दौड़ में परिषदीय विद्यालय शिक्षकों की कमी के चलते पीछे होते जा रहे हैं। हालांकि इन विद्यालयों को हाईटेक बनाकर स्मार्ट कक्षाओं की संरचना की जा रही है, लेकिन विभाग के पास पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। नगर के कुल नौ परिषदीय स्कूल 4 अध्यापक, 13 शिक्षामित्र और 3 अनुदेशक के भरोसे चल रहे हैं। वहीं नियमानुसार 50 शिक्षक होने चाहिएं।
नगर के स्कूलों में एक करोड़ 11 लाख से टाइलीकरण और अन्य कार्य तो कराए जा रहे हैं, लेकिन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। स्कूलों में बच्चों की पंजीकरण संख्या के हिसाब से करीब 30 शिक्षकाें की कमी है। ऐसे में बच्चे कैसे निपुण हो सकते हैं। नगर में नौ परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें छह प्राइमरी और तीन जूनियर हैं। कोई-कोई स्कूल तो एक-एक शिक्षामित्र के भरोसे चल रहा है। एक शिक्षामित्र पांच कक्षाओं को एक साथ सभी विषय कैसे पढ़ा सकता है। ऐसे हालत से आप सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का अंदाजा लगा सकते हैं। कंपोजिट विद्यालय नंदू प्रसाद में 120 बच्चे और 1 शिक्षामित्र की तैनाती। प्राथमिक विद्यालय नंबर 3 गुजरातियान में 50 बच्चे, एक शिक्षामित्र, प्राथमिक कंपोजिट नंबर 5 लाजपतरायनगर में 100 बच्चे और 2 शिक्षामित्र, प्राथमिक विद्यालय नंबर 7 बुढ़ाना रोड में 90 बच्चे और 2 शिक्षामित्र, प्राथमिक विद्यालय नंबर 13 रेलपार में 80 बच्चे और 2 शिक्षामित्र, प्राथमिक विद्यालय नंबर 15 गुलशन नगर में 70 बच्चे और 1 शिक्षामित्र व 1 अध्यापक तैनात है। कन्या जूनियर कंपोजिट गुजरातियान में 170 बच्चों पर 1 अध्यापक व 2 शिक्षामित्र तैनात हैं। कन्या जूनियर कंपोजिट माजरा रोड में 170 बच्चों पर 2 अध्यापक व 1 शिक्षामित्र है। बालक जूनियर बनखंडी में 270 बच्चों पर 1 शिक्षामित्र और 3 अनुदेशक तैनात हैं।
-30 बच्चों पर एक शिक्षक का है मानक
शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाओं में 30 बच्चों पर 1 शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। इसी तरह कक्षा 6 से 8 तक के विद्यालयों में 35 बच्चों पर 1 शिक्षक होना चाहिए। मगर शिक्षकों की कमी के चलते अधिकतर विद्यालयों में यह मानक पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा शिक्षकों पर अध्यापन कार्य के अलावा अन्य विभागीय जिम्मेदारियों का भी बोझ है।
-इन्होंने कहा
जनपद के सभी स्कूलों में शिक्षकों की कमी चल रही है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पंजीकरण के हिसाब से मई के बाद समायोजन करने की तैयारी चल रही है। वहीं नगर क्षेत्र के स्कूलों में भी विभागीय स्तर से ऐसा नियम लागू हो जाए तो यह समस्या दूर हो सकती है।
-कुमारी कोमल, बेसिक शिक्षा अधिकारी