लखनऊ। ऑटिज्म एक लाख में एक बच्चे को होता है। यह एक मानसिक विकार है जिससे बच्चे को बातचीत, पढ़ने-लिखने और सामाजिक सामंजस्य बनाने में दिक्कत आती है।
यह कहना है ठाकुरगंज संयुक्त अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. लवकुश का। वे सोमवार को विश्व ऑटिज्म दिवस की पूर्व संध्या पर अस्पताल में हुए कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म में बच्चे का दिमाग अन्य की तुलना में अलग तरीके से काम करता है। पीड़ित बच्चों में इसके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। बच्चों के प्रशिक्षण व परिजनों की काउंसिलिंग से इसे सही किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि अस्पताल में जल्द ही ऑटिज्म पीड़ित बच्चों व उनके अभिभावकों की काउंसिलिंग की सुविधा शुरू हो जाएगी। सीएमएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि काउंसलिंग प्रत्येक शनिवार को होगी।
न करें गलत व्यवहार
ऑटिज्म के हो सकते हैं लक्षण, मनोचिकित्सकों ने किया आगाह
डॉ. लवकुश बताते हैं कि बच्चे घर के माहौल से ज्यादा सीखते हैं। ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के सामने किसी तरह का झगड़ा व गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए। शोर शराबा भी न करें, नहीं वे भी यही सब करने लगेंगे।
बच्चे को व्यस्त रखें, अकेला न छोड़ें। मोबाइल व टीबी सीमित समय तक ही देखने दें। यदि बच्चे की थेरेपी चल रही है तो भी विशेष एहतियात की जरूरत होती है। बच्चे को ऐसी चीजों से दूर रखें जिसका दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
बच्चों में इन लक्षणों की न करें अनदेखी
3-4 साल की उम्र में भी न बोलना, नजर न मिलाना, एक ही शब्द को बार-बार कहना, खाने- पीने की कुछ चीजें ही पसंद करना, सिर पटकना, पलकें झपकाते रहना, कूदना और रात में नींद न आना।