उपर्युक्त विषयक अपर राज्य परियोजना निदेशक, उ०प्र० लखनऊ के पत्रांकः नि०का०/स०शि० / सा०नि०का०/ 651/2024-25 दिनांक 25 अप्रैल, 2024 का संदर्भ ग्रहण करना सुनिश्चित करें, जिसके द्वारा अवगत कराया गया है कि सामान्यतया ग्रीष्मऋतु में तापमान में वृद्धि के कारण जनजीवन अत्यधिक प्रभावित होता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के तापमान में उत्तरोत्तर वृद्धि होने के कारण गर्मी एवं लू से बच्चों को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होने की प्रबल सम्भावना है। ऐसी स्थिति में हीट वेव के कारण शरीर में पानी की कमी होने से बुखार आना, चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, कमजोरी, सिर दर्द, दस्त, उल्टी इत्यादि की समस्या हो सकती है। अतः विद्यालय में अध्ययनरत् बच्चों एवं शिक्षकों को हीट वेव के दुष्प्रभाव से बचाने के लिये शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होना परम आवश्यक है।
अतएव इस सम्बन्ध में समस्त परिषदीय प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय एवं कम्पोजिट विद्यालयों सहित समस्त शिक्षण संस्थाओं में शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति निम्न व्यवस्थायें अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जायें-
- विद्यालय में शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल हेतु उपलब्ध संसाधनों, यथा हैण्डपम्प, पाइप पेयजल, की क्रियाशीलता एवं पानी की टंकी की साफ-सफाई की व्यवस्था। यदि विद्यालय में किन्हीं परिस्थितियों के कारण पेयजल संसाधान निष्क्रिय है तो तत्काल वैकल्पिक स्रोत से पर्याप्त मात्रा में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराया जाना।
- बच्चों को समय-समय पर उचित मात्रा में पानी पीने के विशेष महत्व से अवगत कराते हुए नियमित रूप से पानी पीने हेतु प्रेरित किया जाना।
- पीने हेतु शीतल जल की व्यवस्था हेतु पर्याप्त संख्या में मिट्टी के घड़े/सुराही एवं पानी निकालने हेतु हैण्डिलयुक्त बर्तन की व्यवस्था किया जाना।
- बच्चों को अपने साथ घर से पानी की बोतल लाने हेतु प्रेरित किया जाये तथा विद्यालय से घर जाते समय यह सुनिश्चित किया जाये कि बच्चों की बोतल में पानी अवश्य हो। इसके लिये अभिभावकों को भी प्रेरित किया जाना।
- बच्चों को ओ०आर०एस० या घर में तैयार पेय पदार्थ, जैसे कि लस्सी, नींबू पानी, छाछ आदि के सेवन के महत्व को समझाते हुए इसके उपयोग हेतु प्रेरित किया जाना
तत्कम में आपको निर्देशित किया जाता है कि उपर्युक्त निर्देशों का प्रत्येक विद्यालय में अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। यदि हीट वेव/लू लगने का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है, तो अविलम्ब प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र/चिकित्सक से तत्काल सम्पर्क करते हुए प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करायी जाये। संलग्नक उक्तवत् ।