नई दिल्ली। भारत में कोरोना टीका और टीकाकरण की तस्वीर काफी अलग है। ब्रिटेन के कोर्ट में एस्ट्राजेनेका ने कुछ दुर्लभ मामलों में प्रतिकूल प्रभावों (जैसे खून के थक्के जमने) की पुष्टि की है। भारत में टीकाकरण के बाद खून के थक्के जमने के मामले कुल टीकाकरण की तुलना में आधी फीसदी (0.5) भी नहीं मिले हैं। प्रतिकूल प्रभावों में से 60 फीसदी से अधिक के लिए टीकाकरण को लेकर डर, इंजेक्शन फोबिया जैसे तनाव और कुछ अन्य बीमारियां जिम्मेदार रही हैं।
कोरोना टीकाकरण की प्रतिकूल घटना (एईएफआई) की जांच लिए गठित राष्ट्रीय समिति की रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं। 2021 से 2023 के बीच राष्ट्रीय समिति ने 16 अलग-अलग बैठक में कुल 1,681 प्रतिकूल मामलों की समीक्षा की। ये सभी मामले कोविशील्ड या कोवाक्सिन टीका की खुराक लेने के बाद तबीयत बिगड़ने पर अस्पतालों में दाखिल हुए लोगों से जुड़े थे। इनमें 520 लोगों की उपचार के दौरान मौत भी हुई।
अब तक तो हजारों लोग प्रभावित हो गए होते
समिति के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि टीकाकरण के दौरान
174 करोड़ खुराक कोविशील्ड थी की
देश में 200 करोड़ से अधिक खुराक दी गई। इसमें 174 करोड़ खुराक कोविशील्ड की थी। अगर खून के थक्के जमने या
टीका से हार्ट अटैक आता तो अब तक आबादी में कई हजार लोग इससे प्रभावित हो सकते थे। टीकाकरण कार्यक्रम में 12 से ज्यादा टीका शामिल हैं। इन सभी के प्रतिकूल प्रभाव अभी तक 1.20 लाख हैं।