प्रयागराज। कानपुर के अलग- अलग विद्यालयों में दो महिलाओं को फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर तैनाती देने वाले जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात दी लिपिकों को निलंबित कर दिया गया है। इन लिपिकों की लापरवाही से केवल नियुक्ति ही नहीं, एक नकली शिक्षक का वेतन भी जारी कर दिया गया था।
निलंबन के बाद लिपिकों को डीआइओएस कार्यालय से हटा दिया गया। साथ ही तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक और लेखाधिकारी पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
प्रवक्ता और सहायक अध्यापक भर्ती 2021 की प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को रिक्त पदों के सापेक्ष
चयन के लिए जुलाई से सितंबर 2023 तक शिक्षा निदेशालय में काउंसलिंग हुई थी। काउंसलिंग के बाद चयनितों को कॉलेज आवंटित कर दिया गया। उसी दौरान 18 अक्तूबर 2023 को अपर निदेशक
माध्यमिक शिक्षा के फर्जी ई-मेल admadhymik06@gmai L.com से डीआईओएस कानपुर के ई-मेल पर सात सहायक अध्यापक और दो प्रवक्ताओं की तैनाती के लिए नियुक्ति पत्र भेजा गया। इसमें अपर निदेशक (माध्यमिक) के डिजिटल हस्ताक्षर थे। एक ही पत्र में सभी की नियुक्ति का निर्देश था।
ई-मेल मिलने के बाद डीआईओएस कार्यालय में तैनात प्रधान लिपिक राजन टंडन और वरिष्ठ लिपिक सुनील कुमार ने बिना सत्यापन के ही उनकी नियुक्ति
कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी। कॉलेजों को नियुक्ति के लिए पत्र लिख दिया। इसके बाद मिर्जापुर के नया शिवम बस्ती महुअरिया निवासी धर्मदेव सिंह की बेटी विनीता देवी को सहायक अध्यापक सामाजिक विज्ञान के पद पर मदन मोहन अग्रवाल इंटर कॉलेज कानपुर में नियुक्ति मिल गई। वहीं, वाराणसी के कोइली ढढोरपुर निवासी श्याम
कार्तिक पांडेय की पुत्री रिक्षा पांडेय को प्रवक्ता नागरिक शास्त्र के पद पर आर्य कन्या इंटर कॉलेज में ज्वाइन करवा दिया गया। यह दोनों नौकरी करने लगीं और रिक्षा को मार्च
2024 तक का वेतन भी जारी कर दिया गया। जबकि, विनीता को बेतन नहीं मिला था। अन्य सात लोगों को भी ज्वाइन करवाने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रबंधन ने नहीं करवाया। अप्रैल में इनके प्रमाण पत्रों की जांच हुई तो पता चला कि सभी फर्जी हैं। उनको निदेशालय से कोई नियुक्ति पत्र नहीं भेजा गया था। शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव के
निर्देश पर नौ फर्जी शिक्षकों के खिलाफ सोमवार को कानपुर के कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। वहीं, सुनील कुमार को निलंबित करके जीआइसी
लिपिकों ने ई-मेल पर नियुक्ति पत्र मिलने के बाद
सत्यापन नहीं किया। जिस ई-मेल से पत्र गया, वह फर्जी था। प्रतीक्षा सूची से जिनका चयन हुआ भा, उन सभी के दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध थे। व्यवस्था पारदर्शी रहे, इसलिए सबकुछ वेवसाइट पर दिया था। फिर भी लिपिकों ने बिना सत्यापन के ही नियुक्ति दे दी। तत्कालीन डीआईओएस मुन्नी लाल और लेखाकार के खिलाफ भी
अनुश्तसनात्मक कार्रवाई होगी। सुरेंद्र तिवारी, अपर निदेशक
माध्यमिक शिक्षा, प्रयागराज और राजन पांडेय को डायट में संबद्ध किया गया है।
कहां के रहने वाले हैं फर्जी शिक्षक
सीतापुर के गांव देवीपुर सिधौली निवासी अरविंद यादव, प्रयागराज के बी 23 जूही कॉलोनी म्योर रोड निवासी स्वाति द्विवेदी, प्रयागराज के कौवा बरांव करछना निवासी विनय सिंह, मिर्जापुर के बभनैया टोला महुअरिया निवासी आशीष कुमार पांडेय, मिर्जापुर के नया शिवम बस्ती महुअरिया निवासी बिनीता देवी, मुजफ्फरनगर के भेंडरा भंदूर निवासी नितिन कुमार, वाराणसी के कोइली ढहारपुर निवासी रिक्षा पांडेय, मेरठ के मुल्ताननगर शेखपुरा निवासीस ज्योति यादव और मेरठ के आर-12 रामलीला ग्राउंड हस्तिनापुर की विनीता चौधरी शामिल हैं