प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सरकारी कर्मचारी को ग्रेच्युटी उसकी सेवा के वर्षों के आधार पर देय होगी न कि जिस उम्र में वह रिटायर होता है।
कोर्ट ने कहा कि 60 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट कोई ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो जो उसके पास नहीं है। कर्मचारी को ग्रेच्युटी का अधिकार उसके द्वारा सेवा किए गए वर्षों के नंबर के अनुसार मिलता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सेहरून निशा की याचिका पर दिया है। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज में शिक्षिका याची ने 57 वर्ष की आयु में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुना।
सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में सेवारत शिक्षकों के लिए नियम बनाने वाले 14 दिसंबर 2011 के शासनादेश में यह प्रावधान है कि जो लोग दस वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी नहीं करते हैं वे पेंशन के हकदार नहीं हैं। जब तक कि वे 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प नहीं चुनते हैं।
ऐसी स्थिति में वे ग्रेच्युटी के हकदार हैं। याची उक्त शासनादेश के दायरे से बाहर होने के कारण ग्रेच्युटी के लिए पात्र नहीं थी। उसने याचिका के माध्यम से इसकी मांग की थी। कोर्ट ने याची की ग्रेच्युटी के लिए याचिका को अस्वीकार करने के आदेश में तर्क को त्रुटिपूर्ण पाते हुए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज को मामले पर पुनर्विचार करने के लिए समय दिया.