बस्ती। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक जिलाध्यक्ष चन्द्रिका सिंह के नेतृत्व में संघ पदाधिकारियों और शिक्षकों ने 7 सूत्रीय मांगों को लेकर जिलाधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
मांग किया कि शिक्षकों का उत्पीड़न बंद किया जाय। ज्ञापन सौंपने के बाद संघ जिलाध्यक्ष चन्द्रिका सिंह ने कहा कि जनपद में 10 से कम नामांकन वाले विद्यालयों के शिक्षक समेत समस्त लगभग 4 हजार कर्मचारियों का वेतन रोक दिया हैं जबकि निजी गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को सुनियोजित रूप से संचालित किया जा रहा है।
इस कारण से परिषदीय विद्यालयों को छात्र
नहीं मिल पा रहे हैं। इसके लिये शिक्षक नहीं वरन विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं। शिक्षक इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। संघ के जिला मंत्री बालकृष्ण ओझा ने बताया कि यदि शीघ्र वेतन निर्गत न किया गया तो संघ आर पार की लडाई लड़ने को बाध्य होगा।
संघ कोषाध्यक्ष दुर्गेश यादव ने कहा कि शिक्षकों से भवन निर्माण चहरदीवारी, कम्पोजिट ग्रान्ट और पीएम श्री विद्यालयों के निर्माण में धन उगाही की जा रही है। इसे तत्काल प्रभाव से बंद कराया जाय। सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि जनपद में संचालित गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को किसी भी शैक्षिक सत्र में बंद नहीं कराया जाता जबकि शिक्षकों को जबरन नामांकन कराए जाने तथा वेतन बाधित कर उनका मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न किया जा रहा है।
विगत कई वर्षों से अनेकों गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय लगातार खुल रहे हैं परतु किसी भी सत्र में किसी भी खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया गया और न ही ऐसे विद्यालयों को कभी बंद कराया गया तथा उनके संचालकों पर न ही मुकदमा दर्ज कराया गया और न ही कोई अर्थदण्ड अब तक विभाग द्वारा वसूला गया है जो कि शासनादेश का पूर्णतः उल्लंघन हैं।
खंड शिक्षा अधिकारियों तथा कुछ पटल सहायकों व जिला समन्वयकों द्वारा प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापक से कंपोजिट ग्रांट, अतिरिक्त कक्षा कक्ष व चाहर दिवारी वृहद मरम्मत, पीएम श्री विद्यालयों से धनराशि की मांग की जा रही है जिसके कई साक्ष्य व प्रमाण भी उपलब्ध हैं।
विभाग में कार्यरत जिला समन्यवयक तथा खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा विद्यालयों की जांच कर शिक्षकों को उत्पीड़न के नाम पर नोटिस दिया जाता है तथा उनका वेतन बहाल करने के एवज में उनका आर्थिक शोषण भी किया जा रहा है। शासन द्वारा किसी भी शिक्षक का वेतन न रोकने का भी निर्देश है, परंतु उसका पालन विभाग द्वारा कभी नहीं किया जाता है।
कुछ शिक्षकों का एक दिन का चिकित्सीय अवकाश भी स्वीकृत न करके खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा उसे अकारण रिजेक्ट किया जा रहा है। जबकि चिकित्सीय अवकाश व अन्य अवकाश लेना शिक्षक का अधिकार है।