पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती:कोर्ट
बरेली। दुष्कर्म के मुकदमे में गवाही के दौरान युवती के बयान से मुकरने के मामले में अदालत ने टिप्पणी की है है कि कि यह संपूर्ण समाज के लिए अत्यंत गंभीर स्थिति है। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए पुलिस व न्यायालय को माध्यम बनाना घोर आपत्तिजनक है।
अनुचित लाभ लेने के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती। यह मुकदमा उन महिलाओं के लिए नजीर बनेगा जो पुरुषों से वसूली के लिए उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराती हैं। बरेली में दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती को सजा होने का यह पहला मामला बताया जा रहा है।
करने की छूट नहीं दी जा सकती। यह मुकदमा उन महिलाओं के लिए नजीर बनेगा जो पुरुषों से वसूली के लिए उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराती हैं। बरेली में दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती को सजा होने का यह पहला मामला बताया जा रहा है।
आरोपी अजय ने चार साल छह महीने आठ दिन जेल में बिताए। अब अदालत ने युवती को इतने ही दिनों की सजा सुनाई है। दरअसल, दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती ने अदालत में कई बार बयान बदले। पहले अजय उर्फ राघव के खिलाफ नशा देकर दिल्ली ले जाने व वहां कमरे में बंद कर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया।
इसी बयान (164 की कार्यवाही) के आधार पर आरोपी की जमानत तक नहीं हो सकी। मुख्य गवाही में युवती अपने बयान से मुकर गई।
झूठी गवाही के मामले में जब अदालत में उसके खिलाफ मुकदमा चला तो कहा कि पुलिस के दबाव में झूठे बयान दिए थे। हर बार युवती बयान बदलती रही। इससे साफ हो गया कि अजय को दुष्कर्म के मामले में झूठा फंसाया गया था।
झूठे बयान के कारण निर्दोष युवक के बहुमूल्य चार साल, छह माह, आठ दिन जेल में बीते। समाज में उसे दुष्कर्म जैसे आरोप का कलंक झेलना पड़ा। सरकारी वकील सुनील कुमार पांडेय ने कहा कि धन उगाही के लिए झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया।
अपने ही बुने जाल में युवती अदालत में बुरी तरह से फंस चुकी थी। दोष सिद्ध होने पर युवती ने अदालत से कम से कम सजा की गुहार की। अदालत ने सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि इस तरह की महिलाओं के कृत्य से वास्तविक पीड़िताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। अदालत ने उसे 1,653 दिन कैद की सजा सुनाई है। संवाद