वाराणसी : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी में
दाखिले के लिए व्यवस्था में बदलाव किया है। विश्वविद्यालयों को हर वर्ष आरईटी (रिसर्च इंट्रेंस टेस्ट) कराना होता है, लेकिन अब अपना टेस्ट नहीं कराना होगा। इसके लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानी नेट के दो के बजाय तीन परिणाम जारी किए जाएंगे। पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता (एलिजिबल फार पीएचडी एडमिशन) नामसे तीसरे परिणाम में फेल अभ्यर्थियों को मौका मिलेगा।
नेट में सबसे अधिक अंक पाने वाले दो से सात प्रतिशत छात्रों को जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) मिलती है। 40 प्रतिशत तक अंक पाने वाले छात्र नेट क्वालीफाई माने जाते हैं। यूजीसी ने कहा है कि 40 प्रतिशत से कम पाने वाले अभ्यर्थियों को भी पीएचडी का मौका मिलेगा। नेट और एलिजिबल
विश्वविद्यालयों को पीएचडी में प्रवेश के लिए नहीं कराना होगा आरईटी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में 40% से कम अंक पाने वाले छात्र होंगे पात्र
फार पीएचडी एडमिशन में आने वाले अभ्यर्थी आरईटी के लिए आवेदन करेंगे जबकि जेआरएफ क्वालीफाई करने वाले छात्र एग्जेम्टेड के तहत आवेदन कर सकेंगे। एलिजिबल फार पीएचडी एडमिशन के तहत छात्र जिस वर्ष परीक्षा में बैठा है, सिर्फ उसी प्रवेश के लिए पात्र होगा। किसी कारण वह प्रवेश नहीं ले पाता तो अगले साल उसे फिर से परीक्षा देनी होगी। नई व्यवस्था में एक लाभ यह होगा कि छात्रों को आरईटी के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों के लिए बार-बार फार्म नहीं भरना पड़ेगा। वह एक परीक्षा देकर कई विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए पात्र हो जाएगा। बीएचयू में यह व्यवस्था चालू सत्र से लागू भी कर दी गई है।