प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी की मौत के बाद दूसरी शादी करने मात्र से कोई पति अपने बच्चों की संरक्षकता का अधिकार नहीं खो देता। विपक्षी पिता ने परिवार अदालत में कहा भी है कि वह दूसरी शादी नहीं करेगा। इस टिप्पणी के साथ बच्चों की अभिरक्षा के लिए विपक्षी पिता की गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के – तहत परिवार अदालत की कार्यवाही पर हस्तक्षेप करने से हाई कोर्ट ने – इन्कार कर दिया और नाना की तरफ से दाखिल याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने अपर प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत मऊ को तीन माह – में केस तय करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अजित कुमार ने अशोक – पाठक की याचिका पर यह आदेश दिया है। विपक्षी अधिवक्ता चंद्र कांत त्रिपाठी ने प्रतिवाद किया। उन्होंने गार्जियन एण्ड वार्ड्स एक्ट की
धारा 125 की कार्यवाही के खिलाफ
अनुच्छेद 227 के तहत दाखिल याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की। याची का कहना था कि उसकी बेटी की शादी विपक्षी के साथ हुई थी। दो बच्चे हुए। बेटी की मौत हो गई। बच्चे उसके (नाना के) पास रह रहे हैं। बच्चों के पिता ने बच्चों की अभिरक्षा के लिए परिवार अदालत
में अर्जी दी है। इसे लेकर याचिका दायर की गई। कहा कि विपक्षी ने दूसरी शादी कर ली है, इसलिए उसे बच्चों की अभिरक्षा न सौंपी जाए। कोर्ट ने कहा कि यह साबित करने की जिम्मेदारी याची की है कि विपक्षी ने दूसरी शादी की है या नहीं।