नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग ने अभी कामकाज शुरू भी नहीं किया है और उसके खिलाफ न्यायालयों में मुकदमे होना शुरू हो गए हैं। कार्यवाहक अध्यक्ष और प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को पहली औपचारिक बैठक से पहले ही नए आयोग के खिलाफ लगभग आधा दर्जन मुकदमे हाईकोर्ट में हो चुके हैं। याचिकाकर्ताओं ने एरियर, एसीपी जैसे मुकदमों में नवगठित आयोग को पार्टी बनाया है।
वहीं प्रयागराज के ही एक अल्पसंख्यक विद्यालय स्टैंडर्ड इंटर कॉलेज मऊआइमा ने वर्षों से शिक्षक भर्ती न होने के कारण आयोग को पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में मुकदमा किया है क्योंकि अल्पसंख्यक संस्थाओं में शिक्षक भर्ती की जिम्मेदारी भी इस नए आयोग को ही दी गई है। 2017 में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने अल्पसंख्यक कॉलेजों में शिक्षक भर्ती पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। पुराने शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के कारण कॉलेज संचालन में अड़चन आ रही है।
मुकदमों का बोझ लेकर काम शुरू करेगा आयोग
प्रयागराज। नवगठित आयोग की शुरुआत हजारों मुकदमों के साथ होने जा रही है। नए आयोग में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का विलय हो रहा है। वर्तमान में चयन बोर्ड के ऊपर ढाई हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं। वहीं उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तकरीबन 500 मुकदमों की पैरवी कर रहा है। आने वाले समय में उच्चतर और चयन बोर्ड की सारी संपत्ति, देनदारियों के साथ ही मुकदमों का बोझ भी नए आयोग के पास ही जाएगा। कार्यवाहक अध्यक्ष ने शुक्रवार को हुई पहली बैठक में ही एक कमेटी का गठन कर दिया है, जो मुकदमों की पैरवी के लिए अधिवक्ताओं के चयन की सिफारिश करेगी।