नई दिल्ली, एजेंसी। पारंपरिक उपचार पद्धति यानी आयुष थेरेपी में बीमा का दायरा काफी सीमित होने के कारण इसके प्रचार-प्रसार में रुकावट आ रही है। इससे निपटने के लिए आयुष मंत्रालय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और बीमा कंपनियों के साथ मिलकर आयुष थेरेपी में बीमा का दायरा बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दायरा बढ़ने पर आयुष के ज्यादा से ज्यादा पैकेजों में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलने लगेगी। साथ ही आयुष उपचार को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल करने का काम भी अंतिम चरण में है।
गौरतलब है कि आयुष उपचार को स्वास्थ्य बीमा कवर के अंतर्गत लाने के लिए हाल ही में एक बैठक हुई थी। इसमें बीमा नियामक इरडा, आयुष अस्पतालों बीमा क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसमें आयुष क्षेत्र में बीमा कवरेज बढ़ाने और मानक उपचार के दिशानिर्देश तय करने पर चर्चा हुई।
इलाज के मानक दिशा-निर्देश बन रहे
बीमा कंपनियां इसलिए भी हिचकती हैं कि पूरे देश में आयुष के तहत एक ही बीमारी का अलग-अलग तरीके से इलाज किया जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए आयुष अस्पतालों की रजिस्ट्री बनाई जा रही है। इसमें आने के लिए अस्पतालों को आयुष मंत्रालय के मानक दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इन दिशा-निर्देशों की बीमा कंपनियों से समीक्षा भी कराई जाती है। आयुष में हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज बढ़ाने के लिए बीमा नियामक भी पूरी कोशिश कर रहा है।
आयुष उपचार में नकदी रहित बीमा पर जोर
दरअसल, एलोपैथ या सर्जरी आदि में नकदरहित बीमा की सुविधा लगातार बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से मरीज उन्हीं की तरफ चले जाते हैं। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा, हमारी कोशिश यही है कि टीपीए नेटवर्क के जरिएआयुष थेरेपी के लिए कैशलेस उपचार का दायरा बढ़ाया जाए। अभी लगभग 10-12 फीसदी दावे ही नकदीरहित होते हैं इन्हें बढ़ाने के लिए कोशिश चल रही हैं और बीमा कंपनियों रुख भी सकारात्मक है।
लगभग 300 उपचार पैकेज बीमा दायरे में
बैठक के बाद आयुष मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, अभी आयुष उपचार के लगभग 300 पैकेज बीमा दायरे में आते हैं मगर कुछ महंगे उपचारों को बीमा कवरेज मुहैया कराने के लिए कंपनियों से बात चल रही है। इससे यह थेरेपी लोगों के लिए किफायती भी बनेगी। आयुष उपचार की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इसे सभी के लिए सुलभ बनाना भी बहुत ज़रूरी है। आयुष के क्षेत्र में बीमे की मांग बहुत बढ़ गई है और पिछले पांच साल में क्लेम की संख्या छह गुना हो गई है।
अभी पीछे हट जाती हैं बीमा कंपनियां
आमतौर पर बीमा कंपनियां ऑपरेशन और आपात स्थिति में उपचार के लिए बीमा पर जोर देती हैं। देखा जाए तो आयुर्वेद में ज्यादातर मरीज ऑपरेशन के बजाय लंबे इलाज की जरूरत वाले होते हैं। बीमा कंपनियां अक्सर इस इलाज के लिए मानक दिशा-निर्देशों के उपलब्ध न होने की बात कहकर बीमा सुरक्षा मुहैया कराने से पीछे हट जाती हैं। इन्हीं समस्याओं का हल निकालने के लिए इस बैठक में चर्चा हुई।