लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बुधवार को एक अहम फैसले में कहा कि 65 साल तक का सेवा विस्तार पाने वाले वाले राज्य पुरस्कृत शिक्षकों को प्रावधान न होने से सत्रांत का लाभ नहीं दिया जा सकता है। इस नजीर के साथ न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की एकल पीठ ने लखनऊ के बख्शी का तालाब इंटर कॉलेज के तदर्थ प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत रहे कृष्ण कुमार शुक्ल की याचिका खारिज कर दी।
बता दें याची ने विभाग से बीती 10 जनवरी को भेजी गई रिटायरमेंट नोटिस को चुनौती दी थी। इसमें उसकी सेवानिवृत्ति की तिथि 30 अप्रैल 2024 कही गई थी। याची का कहना था कि वर्ष 2020 में उसे राज्य शिक्षक पुरस्कार मिला। इसके तहत 65 वर्ष तक का सेवा विस्तार भी मिला। ऐसे में उसे सत्रांत का लाभ देकर 31 मार्च 2025 तक रुं वारत रखा जाना चाहिए था। उन्होंने अवैधानिक तरीके
से 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त करने संबंधी आदेश को रद्द कर दिया जाए। उधर, मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने 10 जनवरी के आदेश को उचित कहकर याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने फैसले में कहा कि 29 मार्च 2022 के सरकारी आदेश के तहत ऐसे राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को सत्रांत का लाभ देने के लिए नहीं कहा गया है, जिन्हें 65 साल तक का सेवा विस्तार मिला हो। ऐसे में उन्हें सत्रांत का लाभ देने का प्रावधान न होने की वजह से याची को भी यह लाभ मंजूर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस
टिप्पणी के साथ याचिका को मेरिट विहीन करार देकर खारिज कर दिया।