प्रयागराज, पूरे देश में हर साल 46 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाते हैं। इनमें 10वीं के तकरीबन 27.5 लाख, जबकि 12वीं के लगभग 18.6 लाख परीक्षार्थी शामिल हैं। इन परीक्षार्थियों को दोबारा नियमित कक्षाओं में शामिल होने और पढ़ाई-लिखाई जारी रखने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से शिक्षा मंत्रालय के स्तर पर मंथन चल रहा है।
ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़े रखने और सकल नामांकन अनुपात में सुधार करने के लिए आन्ध्र प्रदेश ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 से अनूठी पहल की है जिसमें 10वीं और 12वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों के लिए नियमित छात्र के रूप में कक्षाएं करना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके अलावा, ऐसे छात्र भी हैं जो इन परीक्षाओं में शामिल नहीं हो रहे हैं और वे कौशल-आधारित प्रशिक्षण और मुक्त विद्यालयी शिक्षा के लिए संभावित विद्यार्थी हो सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय के अधीन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए नई दिल्ली में आयोजित प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में अन्य राज्यों से भी आन्ध्र प्रदेश मॉडल पर गौर करने और 10वीं और 12वीं में छात्रों की असफलता को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की गई है।
यूपी में ही फेल हो जाते हैं सात लाख से अधिक परीक्षार्थी
10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा में हर साल यूपी बोर्ड के ही लाखों परीक्षार्थी फेल हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर 2024 की बोर्ड परीक्षा में 714101 (हाईस्कूल के 287338 व इंटरमीडिएट के 426763) परीक्षार्थी फेल थे। 2023 की बोर्ड परीक्षा में 921919 (हाईस्कूल के 292634 व इंटरमीडिएट के 629285) परीक्षार्थी फेल हो गए थे।