नई दिल्ली। पेपर लीक विवाद के बीच परीक्षा प्रक्रिया में सुधार के लिए जारी कवायद में देशभर के छात्रों और अभिभावकों के सुझावों को भी शामिल किया जाएगा। सरकार की तरफ से इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन की अध्यक्षता मे गठित उच्चस्तरीय समिति ने अपनी पहली बैठक में तय किया कि छात्रों और अभिभावकों की शंकाएं दूर करना उसकी पहली प्राथमिकता होगी।
एनटीए सुधार समिति के प्रमुख डॉ. राधाकृष्णन ने बैठक के एक दिन बाद पत्रकारों को बताया, सबसे पहले तो हम छात्रों और अभिभावकों के मन से डर निकालना चाहते हैं। बैठक में तय किया गया कि नीट विवाद के बाद छात्रों-अभिभावकों से बातचीत की जाए ताकि न केवल उनकी शंकाएं पता चलें बल्कि इनके समाधान को लेकर उनके सुझाव भी मिल सकें। छात्रों-अभिभावकों के सुझावों को समिति अपनी रिपोर्ट में भी शामिल करेगी।
परीक्षा समिति के सदस्य इसी हफ्ते छात्रों और अभिभावकों से मिलेंगे। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से सबकी राय लेने का काम भी किया जाएगा। अगले 15 दिनों में यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने के लिए हम जल्द से जल्द मजबूत तंत्र बनाने पर काम शुरू करेंगे। इससे पहले, समिति के गठन के साथ शनिवार को वर्चुअल बैठक भी हुई थी। इसमें समिति ने एनटीए कामकाज के तरीकों को समझा था।
डॉ. राधाकृष्णन ने कहा, हमारा प्रयास है कि एक ऐसा टेम्पर प्रूफ और जीरो एरर सिस्टम तैयार करें जिससे बच्चों के भविष्य के साथ किसी भी तरह के खिलवाड़ की कोई गुंजाइश न रहे। उन्होंने बताया कि सरकार परीक्षाओं को लेकर छात्रों का मानसिक दबाव घटाने वाला सिस्टम बनाना चाहती है। प्रवेश परीक्षाओं के लिए ऐसा पेपर तैयार किया जाएगा जिससे छात्रों को कम तनाव हो और उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प मिल सकें।
डार्कनेट से उपजी चुनौतियों पर भी चर्चा… बैठक में मौजूद रहे सूत्रों के मुताबिक, समिति ने एनटीए की मौजूदा स्थिति और उसकी चुनौतियों का जायजा लिया। समिति यह भी देखा कि कौन-सी परीक्षाएं पेन-पेपर मोड में होती हैं और कौन-सी कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) मोड में और दोनों की बारीकियों को भी समझा। बताया जा रहा है कि समिति ने साइबर सुरक्षा के मुद्दों और डार्कनेट के कारण उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा की, जहां यूजीसी नेट परीक्षा का प्रश्नपत्र पहली बार लीक हुआ था। इसी वजह से शिक्षा मंत्रालय को परीक्षा अगले दिन ही रद्द करनी पड़ी थी।