लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार अब स्कूली बच्चों को संस्कृति का ककहरा भी सिखाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के निर्देशन में तैयार की गयी उत्तर प्रदेश की नयी सांस्कृतिक नीति में कक्षा छह से कक्षा 12वीं तक के पाठ्यक्रम में संस्कृति को भी एक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा। इसके बाद स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर संस्कृति व कला के पाठ्यक्रम भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किये जाएंगे।
प्रदेश के संस्कृति विभाग ने इस नयी सांस्कृतिक नीति का फाईनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद एक कमेटी गठित होगी जो पाठ्यक्रम में संस्कृति को बतौर एक विषय शामिल करने की संस्तुति करेगी।
बनेगी जनपदीय सांस्कृतिक इकाई हर जिले में जिला स्तर पर जनपदीय सांस्कृतिक इकाई बनेगी जिसके तहत प्रत्येक जिले में संस्कृति विभाग का एक प्रेक्षागृह, जनपदीय संग्रहालय और सर्वकला महाविद्यालय स्थापित होंगे।
यह महाविद्यालय भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रहेंगे। गुरु-शिष्य परम्परा के तहत कार्यशालाएं आयोजित होंगी, अभिरुचि पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।
संस्कृति निदेशक हैं ड्राफ्टिंग कमेटी अध्यक्ष
संस्कृति विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस नयी सांस्कृतिक नीति की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष संस्कृति निदेशक शिशिर हैं, जबकि कमेटी के सचिव संस्कृति निदेशालय के डा.राजेश अहिरवार हैं। इस नीति के मसौदे को तैयार करने में कमेटी के सदस्यों विद्यांत हिन्दू कालेज लखनऊ की प्रोफेसर नीतू सिंह, महाराजा गंगा सिंह वि.वि. के कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित, राष्ट्रीय माडर्न आर्ट आफ गैलरी के महानिदेशक आदि शामिल रहे।
कलाकारों को पेंशन
इस नीति में उत्तर प्रदेश कलाकार मैनेजमेंट सिस्टम का भी प्रावधान किया गया है जिसमें एक ही विण्डो के जरिए कलाकारों को पेंशन, आर्थिक सहायता,उनका पंजीकरण आदि की व्यवस्था रहेगी।
हमने नयी सांस्कृतिक नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कैबिनेट जिस रूप में इसे स्वीकार करेगी उसी के अनुरूप इसे लागू किया जाएगा।
-शिशिर, निदेशक संस्कृति