लखनऊ, । सूबे के एक विभाग के अधीन काम करने वाले बोर्ड की तबादला सूची में गड़बड़ी हो गई है। तबादलों का प्रस्ताव जिन अधिकारी को अनुमोदन के लिए भेजना था, उन्हें भनक तक नहीं लगी और तबादले हो गए। वह दिल्ली गए हुए थे। आला अफसरों के चहेते बोर्ड के एक विवादित अधिकारी ने प्रस्ताव भेजा और उस पर मुखिया ने अनुमोदन भी दे दिया। बिना यह देखे कि इन महाशय को यह अधिकार ही नहीं था। नतीजा यह हुआ कि आनन-फानन में दो-दो निरस्तीकरण आदेश जारी कर दिए गए।
इस बोर्ड के एक अधिकारी दिल्ली गए हुए थे। इस बीच उनके एक अधीनस्थ ने तबादलों की सूची बना ली। वह अफसरों के चहेते कहे जाते हैं। बीते साल ही अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एक अनुमति जारी करने के मामले में निलंबित किए गए थे। उन्होंने समूह क और ख के अधिकारियों के तबादले का प्रस्ताव बनाकर तत्काल उस पर अनुमोदन भी ले लिया और फिर उन्हें जारी भी कर दिया। बाद में जब बोर्ड के ही अधिकारी ने आपत्ति की तो तबादले निरस्त करने पड़े। हड़बड़ी में पहले बड़े साहब ने तबादला निरस्तीकरण का आदेश जारी किया। जिस तरह पहले अधिकार न होते हुए भी सीधे प्रस्ताव भेजा था, उसी तर्ज पर जनाब ने तबादला आदेश निरस्त किया।