प्राप्त हो रही जानकारी के अनुसार 15 जुलाई से डिजिटल हाजिरी होगी।
असल में शिक्षकों ने डिजिटल हाजिरी का कभी विरोध ही नहीं किया बल्कि देखा जाए तो एक तरह से डिजिटल हाजिरी शिक्षकों के हित में है इससे समाज में फैला यह दाग धुल जाएगा की शिक्षक देर से विद्यालय पहुंचते हैं। डिजीटल हाजिरी के बाद कोई यह नहीं कह पाएगा शिक्षक समय से विद्यालय नहीं आते।
मैं व्यक्तिगत रूप से इस व्यवस्था का स्वागत करता हूं पर कुछ सुविधाओं के साथ, जो की बहुत ही व्यवहारिक भी है, शिक्षकों की व्यवहारिक समस्या का समाधान कर देने के बाद हर शिक्षक इस व्यवस्था को सहर्ष स्वीकार करेगा।
1 –सबसे पहले शिक्षकों को भी EL दे दी जाए, हर कोई समझ सकता है की सिर्फ 14 CL में किसी का काम नहीं चल सकता।
14CL तो शिक्षकों की व्यक्तिगत समस्या तथा मार्ग में आने वाली तकनीकी समस्या में ही खत्म हो जाएगी। अब लोग कहेंगे की बाकियों के पास भी तो इतनी ही CL है तो जरा परिस्थितयों का भी तो आकलन किया जाए। शिक्षकों को उन जगहों पर पहुंचना होता है जहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट तो छोड़िए कई बार सड़क भी नहीं होती तो तमाम जुगाड़ लगा पहुंचने में ऊंच नीच हो सकती है।
सिर्फ 14 CL में काम इसलिए चल जाता है की दुर्गम रास्तों में कई बार साधन न मिलने पर या किसी विपरीत परिस्थिति में 5 या 10 मिनट की देरी हो जाती थी तो काम चल जाता था और शिक्षक को उसके लिए CL नहीं लेनी पड़ती थी, अब जरा सोचिए शिक्षक समय से निकला रास्ते में गाड़ी ही खराब हो गई तो उस CL ही लेनी पड़ेगी वह गाड़ी ठीक करवा कर विद्यालय जायेगा भी तो अनुपस्थित ही माना जायेगा।
2 शिक्षकों के बैच के हिसाब से ट्रांसफर किए जाए और यथा संभव उन्हें उनके मूल जनपद और मूल ब्लॉक पहुंचा दिया जाए ताकि उनकी यात्रा की दूरी कम की जा सके। मेरे सामने ही 2 भर्ती हुई 68500 तथा 69000 ये होने से पहले पुराने शिक्षकों को ट्रांसफर दिया गया होता तो कम से कम 50,000शिक्षक अपने घर पहुंच गए होते।
3- शिक्षक बहुत विपरीत परिस्थिति में कार्य करता है उसमे से तो कई गंभीर बीमारी से भी पीड़ित है, साथ हर दूसरे दिन शिक्षकों की दुर्घटना की सूचना मिलती है अतः उनके लिए भी स्वस्थ बीमा और जीवन बीमा शुरू किया जाए।
4 – हेड तथा इंचार्ज को माह में कुछ दिन की छूट दी जाए क्योंकि जमीनी स्तर पर उसे कई बार विद्यालय संचालन के लिए विद्यालय से बाहर जाना पड़ता है। जैसे अगर सोमवार को ताजा फल लेना है तो सुबह हो सकता है 5 मिनट देर हो जाए, जिस दिन बैंक जाना है उस दिन अगर 1 घंटे पहले नहीं निकलेगा तो कैसे निपटाएगा कार्य? और विद्यालय के बाद सिर्फ उससे कार्य लिया जाना क्या उचित होगा?
ये कुछ मुख्य बाधा है जिसे दूर कर देने के बाद लगभग हर शिक्षक डिजीटल हाजिरी का स्वागत करेगा क्योंकि इससे उसकी क्षवि में भी तो सुधार होगा।
वैसे तो हमारे प्रतिनिधियों ने इसका विरोध तो किया पर मैं शुरू से कहता रहा हूं की प्रयास गलत दिशा में हो रहा है।
लोग कहते थे हम तब तक डिजीटल हाजिरी नहीं देंगे जब तक सरकार सिम और डेटा नहीं देती हम अपना सिम और डेटा नहीं इस्तेमाल करेंगे, तो अब सरकार ने आपकी बात मान ली वो डेटा और सिम दे रही है अब दीजिए डिजिटल हाजिरी।
असल में मांग करनी थी की हमारी व्यवहारिक और जायज समस्या के समाधान के बाद ही हम डिजिटल हाजिरी देंगे पर इसकी तो मांग हुई ही नहीं, अब जो मांगा ही नहीं वो मिलेगा कैसे?
सबसे बड़ी समस्या अब मांगेगा कौन और कैसे?
समस्या विकट है समाधान दिख नहीं रहा।