प्रयागराज। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने अमान्य चेक के अनादर मामले में जारी समन आदेश और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। कोर्ट ने
कहा, बैंकों के विलय के बाद अमान्य हुए चेक का अनादर एनआई एक्ट के तहत दंडनीय अपराध नहीं है। यह फैसला अरुण कुमार सिंह देशवाल एकल पीठ ने अर्चना सिंह गौतम की ओर से विशेष न्यायिक
की मजिस्ट्रेट-द्वितीय बांदा के समन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को
स्वीकार करते दिया है। मामला बांदा के कोतवली नगर क्षेत्र का है।
याची ने दो जून 2023 को इलाहाबाद बैंक के खाते का चेक विपक्षी को जारी किया था। विपक्षी ने भुगतान के लिए चेक 21 अगस्त 2023 को इंडियन बैंक में प्रस्तुत किया था। बैंक ने चेक को अमान्य बता विना भुगतान के विपक्षी को वापस कर दिया। इसके बाद विपक्षी ने याची के खिलाफ विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट-द्वितीय बांदा की अदालत में परिवाद दाखिल किया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने याची को चेक अनादर के आरोप में बतौर आरोपी तलब करने का आदेश जारी किया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए याची ने संपूर्ण आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि एक अप्रैल 2020 को इलाहाबाब बैंक का विलय इंडियन बैंक में विलय हो चुका है। इंडियन बैंक ने परिपत्र जारी कर 30 सिंतबर 2021 के बाद प्रस्तुत होने वाले चेकों को अमान्य घोषित कर दिया। याची को इस बात की जानकारी नहीं थी। वहीं, विपक्षी ने इलाहाबाद बैंक का चेक वर्ष 2023 में भुगतान के लिए प्रस्तुत किया। इसलिए अमान्य चेक अनादरित होना एनआई एक्ट के तहत दंडनीय अपराध श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने याची की दलीलों को स्वीकार करते हुए, अपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।