हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी करना बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज को भारी पड़ गया। कोर्ट ने उन पर याची सहायक अध्यापक को बेवजह परेशान करने पर 10 हजार रुपये हर्जाना लगाया है। हर्जाने की यह राशि 15 दिन के भीतर सहायक अध्यापक को भुगतान करने का निर्देश दिया है।
अनुराग सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दिया है। याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि अनुराग सिंह प्रयागराज के धनुपर ब्लॉक में प्राथमिक विद्यालय अदानी में सहायक अध्यापक हैं। उसने मेडिकल आधार पर अपना स्थानांतरण सोरांव ब्लॉक में किए जाने की मांग की थी। याची का कहना था कि उसके पिता की आंखों की रोशनी चली गई है और मां को कैंसर है। उसकी नियुक्ति उसके आवास से 70 किलोमीटर दूर है। जहां आने-जाने में काफी वक्त लग जाता है तथा वह अपने माता-पिता की देखभाल नहीं कर पाता है। इस संबंध में उसने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में बीएसए को याची के स्थानांतरण प्रत्यावेदन पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में इसी आधार पर दो अन्य शिक्षकों के स्थानांतरण एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में करने का उदाहरण भी दिया। मगर बीएसए प्रयागराज ने याची का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया और अपने आदेश में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए उन दो उदाहरण का जिक्र तक नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि इस अदालत ने पूर्व में विशेष रूप से बीएसए को आदेशित किया था कि वह उन दोनों उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित करें मगर बीएसए के आदेश से यांची को अनावश्यक रूप से दोबारा याचिका दाखिल करनी पड़ी। जबकि पूर्व के आदेश का बीएसए को पालन करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि पूर्व के आदेश का सही भावना से पालन नहीं किया गया, इसलिए बीएससी का आदेश रद्द किया जाता है। कोर्ट ने उनको 10000 रुपये याची को 15 दिन के भीतर भुगतान कर हाईकोर्ट में 30 दिन के भीतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि याची के स्थानांतरण पर पूर्व के आदेश के आधार पर नए सिरे से आदेश पारित किया जाए।