इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि कर्मचारी के खिलाफ बिना किसी अनुशासनात्मक कार्यवाही के उसका वेतन रोकने का आदेश अनुचित है।
कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल नियमावली 1978 के अनुसार प्रतिकूल कार्रवाई या सेवा समाप्ति का आदेश जब तक जारी नहीं होता है, तब तक कर्मचारी सेवा में माना जाएगा। साथ ही वह वेतन पाने का हकदार होगा।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का वेतन तब तक नहीं रोका जा सकता जब तक कि उन्हें सेवा से निलंबित या बर्खास्त नहीं कर दिया जाता। संजय कुमार सिंह और तीन अन्य की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने दिया है।याचीगण जौनपुर के केशवनाथ सीनियर बेसिक स्कूल, होरैया, राम नगर विधमौवा में सहायक अध्यापक चयनित हुए थे। चयन समिति ने उनके चयन की संस्तुति की। 21अगस्त 2003 को बीएसए ने सहायक अध्यापक के पद पर चयन को अनुमोदन प्रदान किया। याचिकाकर्ताओं ने पदभार ग्रहण कर लिया और उन्हें नियमित आधार पर वेतन दिया जाने लगा।
इस बीच 2008 में एक शिकायत पर की गई जांच में याचियों और अधिकारियों की मिलीभगत से नियुक्ति पाने का आरोप लगाते हुए सभी का वेतन रोक दिया गया। उनको पदों पर काम करने से भी रोक दिया गया। जांच रिपोर्ट के आधार पर याचियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और बाद में आरोप पत्र जारी किए गए। वेतन की कटौती के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई।