कानपुरः सरकार परिषदीय स्कूलों का कायाकल्प करा निजी स्कूलों की तर्ज पर संसाधनयुक्त बना रही है, लेकिन इन प्रयासों के बाद भी स्कूल में छात्र नामांकन नहीं बढ़ पा रहा है। प्रदेश में खराब प्रदर्शन वाले शीर्ष
पांच जिले में कानपुर देहात तीसरे और कानपुर नगर नगर पांचवें स्थान पर है। कानपुर मंडल के अंतर्गत कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा जिले में 3551 स्कूल ऐसे हैं जिनमें 50 छात्र तक नहीं हैं और वहां दो से पांच तक शिक्षक हैं। हाल ही में महानिदेशक कंचन वर्मा ने सुविधाएं बढ़ने के बाद भी घटती छात्र संख्या पर चिंता जताते हुए बीएसए को नोटिस जारी किया है। वहीं, अब ऐसे स्कूलों को बंद करके समायोजन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कानपुर नगर के शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कई प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जहां बच्चों की संख्या 25 है और शिक्षकों की संख्या चार से पांच है। वहीं, कई स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षकों की संख्या दो से तीन है, लेकिन वहां बच्चों की संख्यां 90 से अधिक है। प्राथमिक विद्यालय में निर्धारित मानक के अनुसार 30 बच्चों पर एक शिक्षक, 45 पर दो, 60 पर तीन, 75 पर चार और १० बच्चों पर पांच शिक्षक होने चाहिए। करीब 6500 शिक्षक, 1800 शिक्षामित्र और 100 अनुदेशक कार्यरत हैं। अधिकांश स्कूलों में मानकों का पालन नहीं हो रहा है।
कम छात्र सख्या वाले स्कूल बंद करने की तैयारी है। फिलहाल खंड शिक्षा अधिकारियों से वजह पता करने को कहा है। जिम्मेदारी तय करके नोटिस जारी किए जाएंगे। कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में शिक्षकों और बच्चों को समायोजित किया जाएगा। राजेश कुमार वर्मा, एडी बेसिक, कानपुर मंडल
स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने की समस्या पर बेसिक शिक्षा निदेशक को वार्ता में बताया है कि ऐसे स्कूल भी हैं जहां 300 छात्रों पर एक अध्यापक है। कई शिक्षक वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त हो गए हैं और कई स्कूल शिक्षकविहीन है। निदेशक से आश्वासन मिला है कि प्रदेश के सभी जिलों से स्कूलों की आख्या मंगाकर शिक्षकों
की कमी दूर कराएंगे। अरुण पाठक, विधान परिषद सदस्य