लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में तदर्थ शिक्षकों को 25 व 30 हजार मानदेय पर रखे जाने के कैबिनेट के निर्णय से तदर्थ शिक्षक असंतुष्ट हैं। उन्होंने अपने नियमितीकरण की मांग की है।
तदर्थ माध्यमिक शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राजमणि सिंह ने कहा कि सरकार ने 25 वर्षों से कार्यरत तदर्थ शिक्षकों का मानदेय 25 और 30 हजार तय किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जो शिक्षक 25 वर्षों से पूरा वेतन (80 हजार से एक लाख तक), सारी उपलब्धियां
पा रहे थे, एकाएक उनको सेवा से निकल दिया गया। अब उनको 25 और 30 हजार का झुनझुना दिया जा रहा है।
वहीं, उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि तदर्थ शिक्षकों की लंबी सेवाओं को देखते हुए उन्हें नियमित करने की जगह मानदेय पर रखने का निर्णय गलत है। संघ इसका पुरजोर विरोध करेगा। संगठन प्रदेश में अद्यतन कार्यरत सभी 2242 तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने की मांग करता है।
तदर्थ शिक्षकों को नियमित करे सरकार : देवेंद्र
एमएलसी देवेंद्र सिंह ने भी तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण की मांग की है। सीएम को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि तदर्थ शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की गलत व्याख्या करते हुए अधिकारियों ने सरकार को गुमराह किया। समस्या का सबसे बेहतर समाधान खाली पदों पर उनका आमेलन है। उन्होंने कहा कि तदर्थ शिक्षकों को भीख नहीं समानता का अधिकार चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए सभी तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने की मांग की है।