पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर केंद्र सरकार दबाव में आ रही है। कर्मचारी संगठनों को ऐसी उम्मीद नजर आ रही है कि सरकार, ‘एनपीएस’ में ही ‘ओपीएस’ वाले प्रावधान शामिल कर सकती है। हालांकि नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के वरिष्ठ पदाधिकारी, स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार कहते हैं, कर्मियों को केवल ‘गारंटीकृत पुरानी पेंशन’ ही चाहिए। उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। दूसरी तरफ एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने संसद सत्र के दौरान ‘पुरानी पेंशन बहाली’ के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के दो दर्जन से अधिक सांसदों से मुलाकात की है। उन्होंने विशेषकर शिक्षकों व दूसरे विभागों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस को बुढ़ापे की लाठी बताया है। बंधु ने सांसदों से मांग की है कि वे सरकार पर दबाव बनाकर गारंटीकृत ‘पुरानी पेंशन’ व्यवस्था बहाल कराएं।
केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि पुरानी पेंशन की मांग पर गंभीरता से काम हो रहा है। गत वर्ष मार्च में 2023 में केंद्र सरकार ने वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में जो कमेटी गठित की थी, अब किसी भी वक्त उसकी रिपोर्ट आ सकती है। इस कमेटी के गठन का मकसद, गैर-अंशदायी और वित्तीय रूप से अस्थिर पुरानी पेंशन प्रणाली पर वापस लौटे बिना, एनपीएस लाभों को बेहतर बनाने के तरीके खोजना था। इस कमेटी में कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय के सचिव, व्यय विभाग के विशेष सचिव और पेंशन फंड नियमन व विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के अध्यक्ष को बतौर सदस्य, शामिल किया गया था। कमेटी से कहा गया था कि वह नई पेंशन स्कीम ‘एनपीएस’ के मौजूदा फ्रेमवर्क और ढांचे के संदर्भ में बदलावों की सिफारिश करे। किस तरह से नई पेंशन स्कीम के तहत ‘पेंशन लाभ’ को और ज्यादा आकर्षक बनाया जाए, इस बाबत सुझाव दें। कमेटी, इस बात का ख्याल रखे कि उसके सुझावों का आम जनता के हितों व बजटीय अनुशासन पर कोई विपरीत असर न हो। खास बात ये थी कि कमेटी के गठन को लेकर जो कार्यालय ज्ञापन जारी हुआ था, उसमें ‘ओपीएस’ शब्द कहीं नहीं लिखा था। उसमें केवल एनपीएस का जिक्र था।
केंद्र सरकार, जुलाई के तीसरे सप्ताह में बजट पेश कर सकती है। इसके चलते विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों की सूची सरकार के समक्ष रखी है। विभिन्न संगठनों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र भेजे हैं। पुरानी पेंशन बहाली के अलावा कर्मचारियों की दूसरी मांगों में आठवें वेतन आयोग का गठन, मेडिकल सुविधाओं की बेहतरी, स्टाफ बेनिफिट फंड, रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन, इनकम टैक्स स्लैब, होम लोन रिकवरी व रेलवे की क्षमता में वृद्धि, आदि मांगें शामिल हैं। जेसीएम ‘स्टाफ साइड’ के सचिव और एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 21 जून को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। इससे पहले उन्होंने 11 जून को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में आग्रह किया था कि एक जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आए कर्मियों की ‘पुरानी पेंशन बहाली’ पर गंभीरता से विचार किया जाए। सरकार ‘आठवें वेतन आयोग’ के गठन की घोषणा भी जल्द से जल्द करे।
स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने 11 जून को डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को ’21’ मांगों वाला एक पत्र भेजा था। इसमें भी ओपीएस, कोविड के दौरान रोके गए 18 माह के डीए का एरियर, सीजीएचएस और एलटीसी सहित दूसरी कई मांगें शामिल थी। वित्त मंत्री से आग्रह किया गया है कि आने वाले बजट से केंद्रीय कर्मियों को बहुत उम्मीदें हैं। कर्मचारियों की मांगों में सबसे ऊपर ‘पुरानी पेंशन बहाली’ है।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि ओपीएस केवल एक पेंशन नहीं है, अपितु ये सामाजिक सुरक्षा का जरिया है। एनपीएस ने सरकारी कर्मियों के सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा चक्र को तोड़ दिया है। तीन दशक की नौकरी के बाद जब कोई कर्मचारी, एनपीएस में रिटायर होता है, तो उसे महज चार-पांच हजार रुपये बतौर पेंशन मिलते हैं। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने संसद सत्र के दौरान अनेक सांसदों से मुलाकात कर पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा उठाया। बंधु ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, चिराग पासवान, राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा, जगदंबिका पाल, नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रमोद तिवारी, उज्ज्वल रमण सिंह, राकेश राठौर, राजीव शुक्ला, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, सपा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव, डिंपल यादव, आनंद भदौरिया, आदित्य यादव, नरेश उत्तम पटेल, दरोगा प्रसाद सरोज, पुष्पेंद्र सरोज, आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर रावण, निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव और सुदामा प्रसाद समेत कई अन्य सांसदों से मुलाकात की। उन्होंने सांसदों से पुरानी पेंशन बहाली और निजीकरण समाप्त करने का आग्रह किया है।
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया, अभी तक एनपीएस सुधार के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई है। कर्मचारी संगठनों की एक ही मांग है कि गारंटीकृत पुरानी पेंशन लागू की जाए। सरकारी कर्मचारी, एक ऐसा वर्ग है, जो सरकार के लिए 24 घंटे काम करते हैं। युद्ध, आपातकाल या कोरोना जैसी महामारी, कोई भी आपदा हो, सरकारी कर्मचारियों ने दो कदम आगे बढ़कर काम किया है। पेंशन के लिए उनके वेतन से दस फीसदी की कटौती क्यों की जाए। एनपीएस में दस पीसदी फीसदी बेसिक पे और इतना ही डीए में कटौती हो रही है। एनपीएस में तो जीपीएफ की सुविधा भी नहीं मिलेगी। वजह, यह सुविधा तो पुरानी पेंशन वाले कर्मियों को ही मिलती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार, एनपीएस में बदलाव का मसौदा लगभग तैयार कर चुकी है। कमेटी की रिपोर्ट में ओपीएस के कई प्रावधान देखने को मिल सकते हैं।