नई दिल्ली, । इलाज के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही से मृत्यु होने के मामले में नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में अधिकतम सजा पहले की भांति ही दो साल कर दी गई है।
हालांकि, जब पिछले साल संसद में यह कानून पारित हुआ था तो तब सजा पांच साल रखी गई थी। डॉक्टरों की तरफ से मिले ज्ञापनों के बाद इसमें बदलाव किया गया है। अब यह पहले की भांति दो साल ही रहेगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया बयान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर इस बाबत डॉक्टरों द्वारा व्यक्त की जा रही चिंताओं को खारिज किया है। बयान में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए के तहत लापरवाही से हुई मौत के लिए दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
इसमें इलाज के दौरान लापरवाही से हुई मौत भी शामिल है, जिसके लिए डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। लेकिन जब इस प्रावधान को भारतीय न्याय संहिता में बदला गया तो 106(1) के तहत लापरवाही से हुई मौत के मामले में पांच साल की सजा एवं जुर्माने का प्रावधान किया गया। लेकिन डॉक्टरों की तरफ से मिले ज्ञापनों के बाद सरकार ने इसमें संशोधन किया है। अब 106 (1) में यह जोड़ दिया गया है कि यदि इलाज के दौरान पंजीकृत चिकित्सक की लापरवाही से मरीज की मृत्यु होती है तो ऐसे में में दो साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। इसलिए इस मामले में पुराने कानून एवं नए कानून के प्रावधान एक जैसे हैं।