लखनऊ, । रायबरेली- लखनऊ हाईवे पर 90 किमी प्रति घंटा रफ्तार से चल रही टोयोटा फॉर्च्यूनर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में एसयूवी के एयरबैग नहीं खुलने से ड्राइवर समेत तीन लोग गंभीर घायल हो गए। वाहन डीलर और निर्माता कंपनी अपनी गलती मानने और पीड़ित को मुआवजा देने में आनाकानी करने लगे।
मगर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने वाहन स्वामी के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए कंपनी को 20 लाख रुपये नौ फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान का निर्णय सुनाया। इसके अलावा एक लाख रुपये जुर्माना और 25 हजार रुपये मुकदमा खर्च देने का आदेश सुनाया।
आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने आदेश में कहा कि एक माह में भुगतान नहीं करने पर एक लाख और 25 हजार रुपये धनराशि पर अलग से नौ फीसदी ब्याज देना होगा। इसके पहले डीलर और वाहन निर्माता ने तर्क दिया था कि दुर्घटना भीषण नहीं थी। एक साइड से हल्की टक्कर हुई थी, जिस कारण एयरबैग नहीं खुले थे। वाहन में तकनीकी दोष नहीं था। इस पर आयोग ने कहा कि वाहन को देखने से नहीं कहा जा सकता है कि टक्कर मामूली है। वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। इस परिस्थिति में वाहन के एयर बैग का न खुलना मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट इंगित करता है। आयोग ने फैसला सिविल लेन रायबरेली निवासी अवधेश बहादुर सिंह बनाम टोयोटा किलोर्स्कर मोटर बेंगलुरू और कानपुर रोड लखनऊ स्थित डीलर सनी टोयोटा प्रबंधक के केस में सुनाया है।
भीषण टक्कर के बाद कार्बाइन के दो टुकड़े
वादी के अनुसार 10 नवम्बर 2018 को ड्राइवर सुबह 625 बजे बेटे को एयरपोर्ट छोड़ने जा रहा था। एसयूवी में अवधेश बहादुर का बेटा, गनर और ड्राइवर सवार थे। गाड़ी की गति 90 किलोमीटर प्रतिघंटा की सीमा के भीतर थी। बछरांवा कस्बे के पास, एक तेल-टैंकर ट्रक को बीच सड़क पर रिवर्स किया जा रहा था। मुख्य राजमार्ग पर आवारा जानवर आ गए थे। टैंकर चल पड़ा तो ड्राइवर के पास सुरक्षित दूरी पर ब्रेक लगाने का मौका नहीं था। ऐसे में भीषण दुर्घटना हुई। टक्कर इतनी तेज थी कि गनर की कार्बाइन दो हिस्सों में टूट गई। इस दौरान कार का कोई एयरबैग नहीं खुला।