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*हम शिक्षक हैं, मनुष्य जो कुछ बनता है वह इसी कौम की देन है।*
▪️वर्षों से हम शिक्षक समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा से प्रदेश और देश की सेवा में रत हैं। इतिहास साक्षी है कि राज्य द्वारा सदैव हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया है। हम शिक्षकों को कभी भी राज्य कर्मचारी नहीं माना गया। सदैव हमारे साथ सौतेला व्यवहार हुआ । ऐसी परिस्थिति में हमसे अपेक्षा किया जाता है कि प्रत्येक बार हम अपनी कर्तव्यपरायणता सिद्ध करें। हम तैयार हैं, दो बार नहीं चार बार उपस्थिति लीजिये किन्तु तब तक हम उपस्थिति नहीं देंगे जब तक हमारी समस्याओं का निस्तारण नहीं किया जाएगा।
*हम शिक्षकों की समस्याएँ–*
▪️ *`निधन एवं क्रिया-कर्म अवकाश–`* हम शिक्षक स्वयं-भू नहीं हैं। हमारा भी जन्म होता है, हमारी मृत्यु भी होती है। शिक्षक परिजनों के मृत्यु पर कोई अवकाश नहीं होता है। पारंपरिक विधानों को सम्पन्न करने के लिए हम शिक्षकों को 15 दिन चिकित्सीय अवकाश लेना पड़ता है।
▪️ *`मैरिटल लीव—`* विवाह मनुष्य की समाजिक एवं भौतिक आवश्यकता है। ज़ब भी किसी शिक्षक का विवाह होता है तो उसे चिकित्सीय अवकाश लेकर समस्त संस्कारों को सम्पन्न करना पड़ता है।
▪️ *`आपात स्थिति हेतु अर्द्ध दिवसय अवकाश–`* किसी भी मनुष्य के सम्मुख विपरीत परिस्थिति का उदय कभी भी हो सकता है। प्रायः ऐसा होता है ज़ब विद्यालय अथवा परिवार में कोई विपद स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें अनिवार्य रूप से आना होता है किन्तु किसी प्रकार के अर्द्ध अवकाश के विधान न होने के कारण हम शिक्षक विद्यालय से नहीं निकल पाते हैं।
▪️ *`चिकित्सा सुविधा का न होना –`* हम शिक्षक वर्षों समर्पण भाव से विभाग और समाज की सेवा करते हैं। प्रायः ऐसा होता है जब परिवार में अथवा स्वयं शिक्षक असाध्य व्याधि से ग्रस्त हो जाता है तो राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कोई देय चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पाती है। उपचार में शिक्षक अपनी सारी जमा पूँजी व्यय कर देता है। वर्षों से हो रही माँग के उपरांत भी कैशलेस चिकित्सा सुविधा(बिना प्रीमियम) नहीं दी गयी।
▪️ *`राज्य कर्मचारी की मान्यता न प्राप्त होना–`* एक क्षण के लिए विचार कीजिये, आप भी राज्य सरकार के अधीन है और अन्य कर्मचारी भी। उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा मिला हुआ है और हमें आज तक राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं मिला। यह हमारे साथ भेदभाव नहीं तो और क्या है।
▪️ *`अपर्याप्त आकस्मिक अवकाश-`* उपभोग हेतु प्राप्त होने वाले अवकाशों में मात्र आकस्मिक अवकाश ही एक ऐसा अवकाश है जो प्रति वर्ष 14 की संख्या में उपलब्ध कराये जाते हैं। व्यावहारिक रूप यह अत्यंत कठिन है कि मात्र 14 आकस्मिक अवकाश में हम वर्ष भर व्यतीत करें, तथापि हम 14 आकस्मिक अवकाश में वर्ष भर महत्वपूर्ण कार्यों को निपटाते हैं।
▪️ *`पुरानी पेंशन का न होना –`* वर्षों की सेवा का पारितोषिक कर्मचारियों को पेंशन के रूप पेंशन मिलता था। सरकार की असामाजिक नीतियों के प्रभाववश वह पेंशन समाप्त कर दी गयी है। वर्तमान में हम कर्मचारियों को वृद्धावस्था में किसी प्रकार की कोई आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा नहीं है।
*सरकार से हम शिक्षकों की माँग-*
▪️31 ई.एल(अर्जित अवकाश) अन्य राजकीय विभागों की भांति प्रदान किया जाये।
▪️शिक्षण अवधि में आने वाले आपात स्थिति हेतु 15 अर्द्ध दिवसीय अवकाश दिया जाये।
▪️कैशलेश चिकित्सा सुविधा बिना प्रीमियम के उपलब्ध कराया जाए।
▪️डिजिटल उपस्थिति की व्यावहारिक समस्याओं हेतु विस्तृत डिजिटल नियमावली बनायी जाए।
▪️ मैरिटल लीव का प्रावधान किया जाए।
▪️पुरानी पेंशन का आच्छादन पुनः किया जाए।
▪️शिक्षकों के अन्तःजनपदीय एवं अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का विशेष प्रावधान हो।
▪️पदोन्नति एवं ससमय शिक्षक भर्ती की जाए।
▪️शिक्षा मित्रों और अनुदेशक साथियों का मानदेय बढ़ाया जाए।
▪️वर्षों से अत्यंत कम मानदेय पर कार्यरत रसोईयों का मानदेय बढ़ाया जाए।
▪️महिलाओं हेतु प्रतिमाह दो विशेष अवकाश का प्रावधान किया जाए।
▪️हमारा एच.आर.ए बढ़ाया जाए।
▪️प्रत्येक विद्यालय में एक अनुचर और एक ऑपेरटर की नियुक्ति की जाए।
▪️शिक्षकों के वेतन विसंगति को दूर किया जाए।
▪️पति पत्नी शिक्षकों का एक जनपद अथवा एक ही विकासखंड में तैनाती की जाए।
▪️कोरोना काल में प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण प्रारम्भ हुई टाइम एंड मोशन व्यवस्था में बदलाव किया जाए।
▪️यदि हमारी उपरोक्त मांगों पर सरकार विचार कर अनुमन्य करती है तो हमें डिजिटल उपस्थिति देने से कोई परहेज नहीं है, किन्तु यदि सरकार नहीं मानती है तो हम पूर्ववत ऑनलाइन अटेंडेंस का मुखर विरोध करते रहेंगे।
▪️यह प्रदेश के छः लाख शिक्षक कर्मचारियों का दृढ़ संकल्प है और हम अपने संकल्प पर अटल, अडिग और अविचल हैं।
*मांगों की अपूर्ण स्थिति में हमारा सहयोग भी अपूर्ण ही रहेगा।।*
*जय शिक्षक..!*
*विजय शिक्षक..!*
*`’राजा’ दिग्विजय सिंह`*
*(गोण्डा)*
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