Digital Attendance: डिजिटल अटेंडेंस को लेकर यूपी के प्राइमरी शिक्षक और बेसिक शिक्षा विभाग आमने-सामने की मुद्रा में दिख रहे हैं। कई जिलों में शिक्षक संकुल ने इस काम से सामूहिक त्यागपत्र दे दिया।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शनिवार को भी शिक्षकों का विरोध जारी रहा। वहीं डिजिटल अटेंडेंस पर सख्ती किए जाने और शिक्षकों से इसे लगवाने के विभागीय दबाव के बाद कई जिलों में शिक्षक संकुल ने इस काम से सामूहिक त्यागपत्र दे दिया। साथ ही शिक्षकों ने अपने व्यक्तिगत मोबाइल नंबर का सरकारी काम में प्रयोग न करने की भी बात कही है। कई जिलों में विद्यालय जा रहे शिक्षा अधिकारी शिक्षक संकुलों पर भी इस बात का दबाव बना रहे हैं कि वह शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस लगवाएं। इसके विरोध में अमेठी, बरेली, आगरा, अलीगढ़, मैनपुरी आदि जिलों के शिक्षक संकुल ने त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने संकुल कार्य में रुचि न होने को इसका कारण बताया है।
शिक्षक नेताओं के अनुसार कई जगह पर खंड शिक्षा अधिकारी आदि स्कूलों में जाकर डिजिटल उपस्थिति के लिए शिक्षकों को डरा-धमका रहे हैं तो कहीं वेतन रोकने की भी धमकी दे रहे हैं। अधिकारी शिक्षकों से कह रहे हैं कि आप यदि अपनी उपस्थिति नहीं देना चाहते हैं तो बच्चों की डिजिटल उपस्थिति दें। हालांकि अधिकांश शिक्षकों ने इसका विरोध किया। यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि शिक्षाधिकारी शिक्षकों पर डिजिटल अटेंडेंस देने का दबाव बना रहे हैं जो अनुचित है। विभाग शिक्षकों की व्यवहारिक समस्याओं का समाधान खोजे, उनकी मांगे माने जाने से पहले डिजिटल अटेंडेंस नहीं दर्ज कराई जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश सिंह शर्मा ने सभी शिक्षकों से विभाग के सभी ग्रुप छोड़ने की अपील की है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर डॉ. शर्मा ने लिखा कि टैबलेट लॉगिन के लिए ओटीपी शिक्षक के पर्सनल नंबर पर आ रही है। दूसरी तरफ विद्यालय में फोन प्रयोग करने पर शिक्षक को निलंबित किया जा रहा है। इसलिए आप केवल शिक्ष्ज्ञण करें, मांगे माने जाने तक अपने व्यक्तिगत नंबर से कोई विभागीय सूचना दें, सभी विभागीय ग्रुप से लेफ्ट कर जाएं। इसके बाद काफी शिक्षकों ने सरकारी ग्रुप से व्यक्तिगत मोबाइल नंबर से लेफ्ट भी किया है।
*क्या होते हैं शिक्षक संकुल*
न्याय पंचायत स्तर पर पांच-छह शिक्षकों को शिक्षक संकुल के रूप में तैनात किया जाता है। विद्यालय अवधि के बाद विद्यालयों को निपुण बनाने के लिए काम करते हैं। ब्लॉक संसाधन केंद्र और शिक्षकों के बीच सेतु का काम करते हैं। विभागीय योजनाएं को शिक्षक पहुंचाने का काम करते हैं। डिजिटल अटेंडेंस लगवाने की भी जिम्मेदारी है।
*जिलों में बीएसए को ज्ञापन, 23 को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन*
डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से हर ब्लॉक में शिक्षकों के बीच दो दिन सर्वे कराया गया था। इसमें अधिकतर शिक्षकों ने इस व्यवस्था का विरोध किया। संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि इस क्रम में अब 15 जुलाई को हर जिले में शिक्षक बीएसए को ज्ञापन देंगे। वहीं 23 अक्तूबर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर सीएम को संबोधित ज्ञापन भेजेंगे।
👉 *माध्यमिक शिक्षक संघों ने भी किया विरोध का समर्थन*
बेसिक शिक्षकों के समर्थन में शनिवार को माध्यमिक शिक्षक संघ भी उतरा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) ने प्रदेश अध्यक्ष चेत नारायण सिंह ने इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सभी प्रांतीय, मंडल व जिला पदाधिकारी अपनी टीम के साथ आंदोलनरत परिषदीय शिक्षकों के संघर्ष में शामिल होकर आंदोलन को सफल बनाएं। वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने भी बेसिक शिक्षकों के आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वह इस मनमाने आदेश के खिलाफ हर कदम में बेसिक शिक्षकों के साथ हैं।
👉 *शनिवार को भी मात्र 0.39 फीसदी रही उपस्थिति*
बेसिक शिक्षा विभाग की तमाम सख्ती और प्रयास के बाद भी शिक्षक-कर्मचारी डिजिटल अटेंडेंस नहीं लगा रहे हैं। वह इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। शनिवार को भी सुबह शिक्षा विभाग के अधिकारी विद्यालयों में गए और शिक्षकों-कर्मचारियों से वार्ता कर उनसे डिजिटल अटेंडेंस लगाने को कहा लेकिन वह नहीं माने। शिक्षक संगठनों के अनुसार शनिवार को भी पूरे प्रदेश में मात्र 0.39 फीसदी शिक्षकों ने उपस्थिति दर्ज कराई है।