लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के
रविवार को हुए अधिवेशन में कर्मचारी
नेताओं ने पुरानी पेंशन, संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मियों को नियमित न किए जाने पर नाराजगी जताई। मांगे पूरी न होने पर प्रस्ताव पारित कर 25 अक्तूबर को लखनऊ में धरना-प्रदर्शन की घोषणा की गई।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुए अधिवेशन में विभिन्न जिलों के 60 से अधिक संगठनों के करीब एक हजार से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने नौकरशाही पर कर्मचारियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों में पद खाली हैं। पुरानी पेंशन के मामले में कर्मचारियों को छला जा
रहा है। संविदा शिक्षकों को सरकार नियमित
नहीं कर रही है।
मंविदा, आउटसोर्स, वर्कचार्ज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण की भी कोई योजना नहीं है। लैब टेक्नीशियन, विपणन निरीक्षक, आपूर्ति निरीक्षक सहित अन्य संवगों की वेतन विसंगतियों पर भी निर्णय नहीं हो पा रहा है। न्यूनतम 18 हजार मानदेय की फाइल भी ठंडे बस्ते में है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायणजी दुबे एवं
महामंत्री अरुणा शुक्ला ने पुरानी पेंशन का मामला उठाया। अधिवेशन में कार्यकारिणी में कुछ कर्मचारी मनोनीत किए गए। अधिवेशन को त्रिलोकी नाथ चौरसिया, वीरेंद्र बीर यादव, शैलेंद्र दुबे, विकास शुक्ला, ओमप्रकाश गौड़, प्रीति पांडे, अयोध्या सिंह, पुनीत शर्मा, अर्पणा अवस्थी, अखिलेश सिंह, विनोद यादव, श्रवण पाल, लक्ष्मी आर्या, कुसुम लता यादव, सरला सिंह, बृजेंद्र यादव आदि ने संबोधित किया