मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मंगलवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मुलाकात कर 8449 मदरसों के बच्चों को बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में दाखिल कराने का विरोध किया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रतिनिधिमंडल पहली बार मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में कहा है कि भले ही ये मदरसे बोर्ड से संबद्ध नहीं है, लेकिन किसी ट्रस्ट या सोसायटी से स्थापित हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह इस पर विचार करेंगे। प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि इन मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ माडर्न शिक्षा भी दी जा रही है। मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश देश के संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। देश के संविधान ने अल्पसंख्यकों को यह अधिकार दिया गया है कि वे न केवल अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित कर सकते हैं, बल्कि अपनी इच्छानुसार उसका प्रबंधन भी सकते हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-ने भी मदरसों और पाठशालाओं को इसी अधिनियम से छूट दी गई है।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि मदरसे न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि लाखों बच्चों को मुफ्त आवास और खाने-पीने की सहुलियत भी देते हैं। बोर्ड ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा यूपी के मुख्य सचिव द्वारा जारी पत्र आपत्ति जताई है। इसमें गैर स्वीकृत मदरसों के सर्वेक्षण का निर्देश दिया गया था और वहां पढ़ने वाले बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराने को कहा गया है।