लखनऊ। जालसाजों ने सचिवालय में सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर नौकरी का झांसा देकर बेरोजगारों से 42 लाख हड़प लिये। विश्वास दिलाने के लिये जालसाजों ने संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव को परिचित बता दिया। सदस्य को सचिव बनाकर विधानभवन के बाहर मुलाकात करवा दी। मामला खुलने पर पीड़ितों ने रुपये मांगे तो गिरोह ने लारेंस विश्नोई का नाम लेकर धमकाना शुरू कर दिया। पीड़ितों में एक युवती भी है। हजरतगंज कोतवाली में केस दर्ज कराया गया था।
चिंता मत करिए, नौकरी लग जाएगी: प्रयागराज सिविल लाइंस निवासी अजय कुमार मिश्र के मुताबिक दोस्त संतलाल के जरिए आलोक यादव से मुलाकात हुई। सचिवालय में गहरी पैठ होने का दावा कर बेटी की नियुक्ति एआरओ के पर कराने का भरोसा दिया। अप्रैल 2023 में आलोक ने फोन कर बुलाया। विधानभवन गेट नम्बर पांच के सामने मिलकर बोला कि कार में संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव बैठे हैं। इनकी मदद से नियुक्ति होगी। बात फोन पर कौशिक मिश्र के तौर पर परिचय देने वाले व्यक्ति से कराई गई। उसने बताया कि आप 20 लाख रुपये का इंतजाम कीजिए। बिटिया की नौकरी हम लगवा देंगे। कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।
विधानभवन के सामने बुला कर दिखाए नियुक्ति पत्र
अजय से बेटी के अलावा रिश्तेदारों की नियुक्ति कराने का दावा करने लगा। कुल मिला कर 42 लाख रुपये जमा कराने के बाद अजय को विधानभवन के पास मिलने बुलाया और नियुक्ति पत्र भी दिखाए। जिसके चलते उन्हें भरोसा हो गया। पीड़ित के मुताबिक काफी दिन गुजरने के बाद भी नियुक्ति पत्र घर नहीं पहुंचे। ऐसे में अजय ने रुपये वापस करने के लिए कहा। जिसके लिए आरोपी तैयार नहीं हुए।
लॉरेंस बिश्नोई का नाम सुना है…
आरोपी आलोक और कौशिक चंद्र ने नियुक्ति नहीं होने पर रुपये वापस करने के लिए कहा था। काफी दिन तक टाल मटोल होते देख पीड़ित ने रुपये वापस लौटाने का दबाव बनाया। जिस पर उन्हें लॉरेंस बिश्नोई और अयोध्या के राजपूत गैंग का नाम लेकर धमकाया गया। इंस्पेक्टर हजरतगंज ने बताया कि अजय की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।