लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण लागू करवाने के लिए सक्रिय हुई है। उत्तर प्रदेश विधान मण्डल अनुसूचित जाति-जनजाति तथा विमुक्त जाति की संयुक्त समिति ने राज्य के कार्मिक विभाग से आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए 23 जनवरी 2008 को जारी शासनादेश के अनुपालन के बारे में सभी विभागों से ब्योरा मांगा है।
विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों की इस समिति के अध्यक्ष एमएलए श्रीराम चौहान हैं। समिति के सदस्यों में विधान परिषद सदस्य डा. लालजी प्रसाद निर्मल, विधानसभा सदस्य त्रिभुवन राम, जयदेवी, पलटूराम, मनोज पारस आदि शामिल हैं। सोमवार को इस समिति की बैठक हुई। बैठक में कार्मिक विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए। समिति ने कार्मिक विभाग से यह भी अपेक्षा की है कि जेम पोर्टल पर पंजीकृत आउटसोर्स की सर्विस प्रोवाइडर एजेंसियों को भी आरक्षण के दायरे में लाया जाए। समिति के सदस्य त्रिभुवन राम ने बताया कि आउटसोर्स की नौकरियों के लिए मैनपावर उपलब्ध करवाने वाली एजेंसियों पर आरक्षण इसलिए लागू किया जाना चाहिए क्योंकि इससे आरक्षित वर्ग के लोगों को भी ऐसी एजेंसियां संचालित करने का अवसर मिलेगा। साथ ही वह आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था का पूरी निष्ठा से अनुपालन भी करेंगी। 23 जनवरी 2008 को तत्कालीन प्रमुख सचिव जेएस दीपक ने सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों को एक शासनादेश जारी किया था। शासनादेश के अनुसार राज्य सरकार के विभागों, निगमों व परिषदों द्वारा अपने कार्यालयों में रख-रखाव का कार्य स्वयं किया जा रहा था यदि अनुबंध के आधार पर सम्पन्न करवाए जाते हैं तो ऐसे कार्यों के लिए होने वाले करार में यह भी सन्निहित होगा कि इस तरह उत्पन्न कुल रोजगार का 21 प्रतिशत एससी, दो प्रतिशत एसटी और 27 प्रतिशत अन्य पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों को प्रदान किया जाए।