केंद्र सरकार नया आयकर कानून लाने जा रही है। इसे करदाताओं के लिए बेहद सरल, आसानी से समझने वाली भाषा और सहज उपयोग की दृष्टि से तैयार किया जाएगा।
इसका फायदा यह होगा कि करदाता किसी विशेषज्ञ की मदद लिए बिना कर विवाद से जुड़े मामलों को समझ पाएंगे। साथ ही बिना मदद सभी आयकर रिटर्न भरना आसान हो जाएगा।
सीबीडीटी चेयरमैन रवि अग्रवाल ने बताया कि नया कानून छह माह में आ जाएगा। हमारा प्रयास है कि हम इसे सरल बना सकें, जिसे भाषा की दृष्टि से समझने में आसानी हो, प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से भी सरल हो ताकि करदाता स्वयं इसके प्रावधानों को देखकर सहज महसूस करें और यह अधिक अनुकूल हो। गौरतलब है कि बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर कानून की व्यापक समीक्षा की बात कही थी।
इसलिए पड़ रही नए कानून की जरूरत
अग्रवाल के मुताबिक, आयकर अधिनियम-1961 में समय के साथ कई अतिरिक्त चीजें जुड़ी हैं, जिससे यह बोझिल और भारी हो गया है। करदाताओं को लगता है कि उतना सरल नहीं है, जितना होना चाहिए। मौजूदा आयकर अधिनियम में अभी 298 धाराएं, 23 अध्याय और अन्य प्रावधान शामिल हैं। किसी सामान्य करदाता के लिए आयकर कानून की धाराओं को समझना आसान नहीं है।
देश में अभी आयकर मुकदमों की भरमार
गौरतलब है कि आयकर कानून-1961 की कुछ धाराओं के चलते आयकर से जुड़े मुकदमों की भरमार है। जुलाई 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, आयकर ट्रिब्यूनल के पास आयकर के 50 लाख रुपये तक के विवाद से जुड़े 47,940 मामले लंबित थे। इस से ज्यादा बड़ी रकम के मामले में अदालत जाना पड़ता है। वहां भी करीब हजारों मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं।